ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की जांच फिलहाल आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) नहीं कर पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की रिट पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगली तारीख तक हाईकोर्ट का फैसला लंबित रहेगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने आज मामले की सुनवाई की।

मुस्लिम पक्ष की तरफ से सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने गुरुवार यानि बीते दिन सीजेआई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच से दरखास्त की थी कि वो इस मामले को तुरंत प्रभाव से देखें। उनका कहना था किस मेंटेनिबिलिटी को लेकर ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन कमेटी की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है। जबकि शिवलिंग की जांच करने का फैसला 1 दिन में ही दे दिया गया।

ASI की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद हाईकोर्ट ने दे दिया जांच का आदेश

हुजेफा अहमदी ने सीजेआई की बेंच को बताया कि ASI ने जिस दिन (11 मई) हाईकोर्ट को ये बताया कि वो शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच करके उसकी सही उम्र का पता लगाने में समर्थ है। उसके एक दिन बाद ही यानि 12 मई को हाईकोर्ट ने कार्बन डेटिंग के जरिये जांच करने का आदेश दे डाला।

SG ने भी शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच पर जताया विरोध

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उनका कहना था कि वैज्ञानिक तरीके से जांच की गई तो शिवलिंग को नुकसान पहुंचने का खतरा है। उनकी दलील थी कि इस प्रक्रिया को करना किसी भी नजरिये से ठीक नहीं होगा। इसे रोका जाना चाहिए।

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शिवलिंग की जांच कराने को लेकर वाराणसी की कोर्ट में एक याचिका बीते साल सितंबर के महीने में दायर की गई थी। लेकिन लोकल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला देकर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि ढांचे (शिवलिंग) को सुरक्षित रखा जाए। उसके बाद लोकल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा-1 ने शिवलिंग की जांच पर ASI से जवाब मांगा था। ASI ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि वो सीधे तौर पर न सही पर दूसरे तरीके से शिवलिंग की जांच कर उसकी उम्र का पता लगा सकती है।