Sanjay Raut slams Modi Govt: शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए शनिवार को कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने, जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचने, और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया। मुंबई में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने देश के मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की और सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए।

“सरकार चर्चा से डरती क्यों है?”

संजय राउत ने संसद में विपक्ष के नेताओं को बोलने की अनुमति न दिए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “संभल में हुई घटना और अडानी का मुद्दा बेहद गंभीर हैं, लेकिन हमें इन मुद्दों को उठाने का मौका ही नहीं दिया जा रहा है। जब हम विपक्ष के नेता के साथ खड़े होकर सवाल पूछते हैं, तो मात्र दो सेकंड में लोकसभा और राज्यसभा को स्थगित कर दिया जाता है।”

उन्होंने सवाल किया कि सरकार संसद में चर्चा से क्यों डरती है। “मोदी जी और अमित शाह जी जनता के मुद्दों पर बात करने से क्यों घबराते हैं? अडानी के मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती? कौन लगता है अडानी आपका? क्या उनके बारे में कोई बात नहीं कर सकता?” उन्होंने संभल में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए इसे “स्पॉन्सर्ड” करार दिया और कहा कि इस तरह की जानकारी उनके पास मौजूद है।

महाराष्ट्र में सरकार गठन का मुद्दा

राउत ने महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में हो रही देरी को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं हो सका है। मोदी जी और अमित शाह जैसे बड़े नेताओं से चर्चा के बावजूद सरकार क्यों नहीं बन पा रही है?” उन्होंने कहा, “अब बात यह है कि महाराष्ट्र से जुड़ी सभी चीजें दिल्ली में तय की जाएंगी। वे स्वाभिमान और गौरव की बात करते थे, जो अब नहीं है। एकनाथ शिंदे और अजित पवार को अपने मुद्दे रखने के लिए बार-बार दिल्ली आना पड़ेगा। भले ही वे अलग-अलग पार्टियों से हैं, लेकिन उनका हाईकमान दिल्ली में है, मोदी और शाह उनके हाईकमान हैं।”

उन्होंने कहा, “उन्हें (एकनाथ शिंदे और अजित पवार) महाराष्ट्र में जो कुछ भी करवाना है, उसके लिए उन्हें दिल्ली से मंजूरी लेनी होगी। कल भी वे (दिल्ली में) मिले थे। तो अब महाराष्ट्र में बैठक कर वे क्या करेंगे? इसलिए मोदी और शाह जो भी आदेश देंगे, उन्हें सुनना होगा।”

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उन्होंने कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के व्यवहार पर भी निशाना साधा। “शिंदे जी गांव में जाकर बैठे हैं। क्या यह उचित है? राज्य की जनता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। यह कैसा लोकतंत्र है?” राउत ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर रही है। “जब संसद में जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकती, जब विपक्ष की आवाज को दबाया जाता है, तो यह किस तरह का लोकतंत्र है? क्या यही हमारा लोकतांत्रिक आदर्श है?” उन्होंने कहा कि सरकार जवाब देने से लगातार बच रही है और जनता के सवालों का सामना करने से कतराती है।

संजय राउत ने संभल की हिंसा और अडानी समूह से जुड़े विवादों को उठाते हुए इन पर विस्तृत चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को जानबूझकर दबाने की कोशिश की जा रही है। संभल में जो हुआ, वह एक साजिश जैसा लगता है। सरकार को इस पर सफाई देनी चाहिए।”

अडानी विवाद पर उन्होंने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। “क्या अडानी का नाम लेना इतना बड़ा अपराध हो गया है? देश को यह जानने का हक है कि इस मामले में सच्चाई क्या है।”

महाराष्ट्र की राजनीति पर बोलते हुए राउत ने कहा कि राज्य में सत्ता संघर्ष जनता के साथ विश्वासघात जैसा है। उन्होंने कहा, “यह कैसा प्रशासन है जहां राज्य के नेता खुद भ्रमित हैं और जनता की समस्याएं अनसुनी हो रही हैं? क्या यही हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की परिभाषा है?” अंत में राउत ने जनता से आग्रह किया कि वे इन मुद्दों पर ध्यान दें और सरकार से सवाल पूछें। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र जनता के सवालों पर चलता है। अगर सवाल उठाने की प्रक्रिया ही खत्म हो जाएगी, तो लोकतंत्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।”

संजय राउत के बयान स्पष्ट करते हैं कि विपक्ष केंद्र सरकार के रवैये से असंतुष्ट है और इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक मानता है। उनके सवाल इस बात पर जोर देते हैं कि पारदर्शिता और जवाबदेही किसी भी लोकतांत्रिक शासन की नींव हैं। अब देखना यह है कि सरकार इन आरोपों का जवाब किस तरह देती है।

हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हुई की। कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ की मांग करते हुए एक ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ शुरू करने का फैसला किया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने केवल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के खिलाफ या बैलट की वापसी की मांग पर ध्यान केंद्रित नहीं करने का फैसला किया बल्कि इसके बजाय अपने आंदोलन में ‘संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया’ को संबोधित करने पर सहमति व्यक्त की। पढ़ें पूरी खबर