मुंबई।। महाराष्ट्र विधानसभा के सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय विशेष सत्र में शिवसेना के विधायक विपक्ष की सीटों पर बैठे। इस सत्र में देवेंद्र फडणवीस विश्वास मत हासिल करेंगे। नवनिर्वाचित विधायकों ने सदन में जय श्रीराम, जय शिवाजी, जय विदर्भ और नमो जैसे नारे गूंजे। सदन की शपथ लेने के दौरान उन्होंने इन नारों का उद्घोष किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने जय श्रीराम और नमो के नारे लगाए वहीं शिवसेना के विधायकों ने जय शिवाजी के । एक सदस्य ने जय विदर्भ भी कहा।

तेरहवीं विधानसभा में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। वह 122 विधायकों के साथ बहुमत के आंकड़े 145 से दूर है।बहुमत साबित करने के लिए बुलाए तीन दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत सोमवार सुबह हुई। विधानसभा में शिवसेना के विधायक भगवा साफा बांधकर शपथ लेने आए। अंदर आते ही उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। शिवसेना सदस्यों के बैठने की व्यवस्था विपक्षी दल के आसनों पर की गई थी। 11 बजे विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई। राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव ने तीन दिन के विशेष सत्र के लिए अस्थायी अध्यक्ष जीवा पांडु गावित को राजभवन में शपथ दिलवाई। बाद में लगभग 200 नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण की शुरुआत हुई। बचे विधायकों को मंगलवार को शपथ दिलवाई जाएगी।

तीन दिवसीय सत्र के आखिरी दिन फडणवीस सरकार बहुमत साबित करेगी। इस दिन मत विभाजन का काम दोपहर तीन बजे तक पूरा कर लिया जाएगा। सत्र के आखिरी दिन विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव भी होगा। आमतौर पर सबसे बड़े दल का नेता अध्यक्ष पद के लिए चुना जाता है। भाजपा 122 विधायकों के साथ सबसे बड़ा दल है।

लेकिन शिवसेना नेता नीलम गोर्हे ने कहा कि उनकी पार्टी भी विधानसभा अध्यक्ष के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अब भाजपा से किसी भी तरह की बातचीत नहीं करेगी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि भाजपा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का समर्थन लेती है, तो शिवसेना विपक्ष में बैठेगी। ठाकरे ने भाजपा को फैसला लेने के लिए दो दिनों का समय दिया है।

इससे पहले शिवसेना नेता दिवाकर रावते ने कहा कि मराठी माध्यम के स्कूलों में उर्दू भाषा को बढ़ावा दिए जाने के मुद्दे पर उनकी पार्टी के विधायक राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से को हरे रंग की टोपी भेंट करेंगे। खड़से ने घोषणा की है कि मनपा के मराठी स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। रावते ने कहा कि खड़से का शिक्षा विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। किसी ने उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की मांग भी नहीं रखी है। फिर भी खड़से मुसलिमों का तुष्टीकरण करना चाह रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के लिए विधायक के रूप में सोमवार को पहला दिन था। इससे पहले ये विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं।