महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे का कहना है कि वे समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का समर्थन करते हैं, लेकिन जो लोग इसे ला रहे हैं, उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि यह केवल मुसलमानों के लिए समस्या खड़ी करेगी, यह हिंदुओं के लिए भी समस्या बनेगी और कई तरह के सवाल खड़े होंगे…कश्मीर से कन्याकुमारी तक गौहत्या पर प्रतिबंध लगे, क्योंकि गौहत्या पर प्रतिबंध नहीं है। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर स्वयं कहा करते थे कि यदि राज्य में गायों की कमी होगी तो उसको बाहर से आयात कर लेंगे।

केंद्रीय विधि आयोग (Central Law Commission) ने समान नागरिक संहिता को लेकर लोगों और विभिन्न धार्मिक संगठनों से सुझाव मांगे हैं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनका इस पर समर्थन तो है, लेकिन इससे जुड़े मुद्दे हैं, उस पर भी चर्चा हो और उसका हल निकालें।

दूसरी तरफ कांग्रेस समेत तमाम दलों के नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता को जनता पर थोपकर महंगाई, बेरोजगारी और दूसरे बड़े मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। उधर, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इसे केंद्र की भाजपा सरकार की हताशा का प्रतीक बताया।

क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)

समान नागरिक संहिता का मतलब है पूरे देश के लिए एक कानून। जिसे सभी धार्मिक समुदायों पर उनके निजी मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू किया जाएगा। इन मामलों को लेकर भारत में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं, इसीलिए यूसीसी का विरोध भी देखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा बीजेपी सरकार इस यूसीसी को लागू करने की बात कहती रही है।

यूसीसी का लगातार विरोध करने वाले लोगों का तर्क है कि इसके लागू होने से लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं से वंचित हो जाएंगे और इन्हें मानने का उनका अधिकार छिन जाएगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से शादी-विवाह, जमीन जायदाद, संतान और विरासत जैसे मामलों में जो अलग-अलग रियायतें है वो खत्म हो जाएंगी और हर धर्म के लिए एक ही कानून होगा।