व‍िवादों में आए दो नेताओं ने बुधवार (9 नवंबर, 2022) को अलग-अलग तेवर द‍िखाए। एक ने सख्‍त तो दूसरे ने नरम। सख्‍त तेवर द‍िखाने वाले नेता श‍िवसेना के संजय राउत हैं। राउत को बुधवार को कोर्ट ने करीब तीन महीने बाद जमानत दी। वह पात्रा चॉल घोटाले में जेल में बंद थे। बेल म‍िलने पर आर्थर रोड जेल से बाहर न‍िकले तो समर्थकों का ऐसे अभ‍िवादन क‍िया जैसे चुनावी जीत के जश्‍न में नेता करते देखे जाते हैं। गाड़ी में खड़े होकर हाथ ह‍िलाए, गमछा ह‍िलाया, बड़ी-बड़ी मालाएं समर्थकों से लेकर समर्थकों को ही सौंप दीं। उनके समर्थकों ने पोस्‍टर में उन्‍हें योद्धा बताया।

उधर, ह‍िंदू को लेकर द‍िए गए बयान के चलते व‍िवाद में आए कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्‍यक्ष सतीश जरकीहोली ने मुख्‍यमंत्री को माफीनामा भेजा। पहले उन्‍होंने कहा था क‍ि वह बयान पर कायम हैं, लेक‍िन 9 नवंबर को माफीनामा ल‍िख कर मुख्‍यमंत्री से जांच की भी मांग की। उनका कहना था क‍ि उन्‍हें ह‍िंंदू व‍िरोधी साब‍ित करने की साज‍िश रची गई और सरकार जांच करा कर यह पता लगाए क‍ि यह साज‍िश रचने वाले कौन लोग थे।

जेल से निकलने के बाद अस्पताल में भर्ती होंगे संजय राउत

जेल से निकलने के बाद संजय राउत को अस्पताल में भर्ती करवाया जाएगा। पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना से जुड़े धनशोधन के मामले में उन्हें बुधवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी। उनके भाई सुनील राउत ने कहा कि संजय की तबीयत ठीक नहीं इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जाएगा। वह पहले उद्धव ठाकरे से मिलेंगे और कुछ अन्य जगहों पर भी जाएंगे।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल जुलाई में उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था।

हिंदुत्व पर टिप्पणी कर विवादों में आए सतीश जरकीहोली

हिंदुत्व पर टिप्पणी के बाद सतीश जरकीहोली विवादों में आ गए थे। उन्होंने अपने बयान में कहा था, “हिंदू शब्द- इसकी उत्पत्ति कहां से हुई … यह ईरान, इराक, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान के क्षेत्र का फारसी शब्द है। ‘हिन्दू’ शब्द का भारत से क्या संबंध है? फिर आप इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं? इस पर बहस होनी चाहिए… ‘हिंदू’ का मतलब जानकर आपको शर्म आएगी।” उनके इस बयान से कांग्रेस ने भी दूरी बना ली थी और इसकी निंदा भी की। वहीं, बीजेपी ने उनके बयान को लेकर खूब हंगामा किया और इसकी कड़ी निंदा की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने उनके इस बयान को राष्ट्रविरोधी बताया।