शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने भाजपा को “दफना” देने की धमकी दी है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। कदम की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है। वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी शिवसेना के सदस्य कदम ने यह भी कहा कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में ”मोदी लहर” के बावजूद, कुल 288 में से 63 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। … न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।

केंद्र सरकार के, सामान्य श्रेणी के गरीबों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने संबंधी विधेयक के बारे में पूछे जाने पर, कदम ने कहा कि मराठा, धनगर और मुसलमानों के लिए कोटा पहले से ही है। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि, ‘‘फिर वे हर किसी को और आरक्षण कैसे दे देंगे? क्या ये निर्णय चुनाव को ध्यान में रखकर लिए जा रहे हैं?” गौरतलब है कि लोकसभा ने मंगलवार को सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी।

[bc_video video_id=”5987089730001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]

बता दें कि इससे पहले शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सोमवार को निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह रोजगार सृजन का श्रेय लेना चाहते हैं तो उन्हें देश में घटी नौकरियों की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में शिवसेना ने सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया कि पिछले एक साल में देश में 1.09 करोड़ नौकरियां खत्म हुईं।

संपादकीय में कहा गया, ‘‘अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 लाख नौकरियों के सृजन का श्रेय चाहते हैं तो उन्हें एक साल में 1.09 करोड़ नौकरियां घटने की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’ शिवसेना ने चेताया, ‘‘भाजपा सरकार को नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार युवाओं की भावनाओं के साथ नहीं खेलना चाहिए।’’