शिवसेना ने आज एक नये विवाद को पैदा करते हुए मांग की कि मुसलमानों के मताधिकार को वापस ले लेना चाहिए क्योंकि इस समुदाय का इस्तेमाल अकसर वोटबैंक की राजनीति के लिए किया जाता रहा है।
शिवसेना ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल-मुस्लिमीन (एमआईएम) और उसके नेताओं ओवैसी बंधुओं की तुलना जहरीले सांपों से की जो अल्पसंख्यक समुदाय का शोषण करने के लिए जहर उगलते रहते हैं।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में आज लिखा है, ‘‘अगर मुसलमानों का इस्तेमाल केवल राजनीति करने के लिए इस तरह किया जा रहा है तो उनका कभी विकास नहीं हो सकता। जब तक मुस्लिमों का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए होता रहेगा, उनका कोई भविष्य नहीं होगा और इसलिए बालासाहब ने एक बार कहा था कि मुस्लिमों का मताधिकार वापस लिया जाए। उन्होंने सही कहा था।’’
संपादकीय के अनुसार एक बार मुसलमानों के मताधिकार वापस ले लिये जाएं तो सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों का ‘धर्मनिरपेक्ष मुखौटा’ उतर जाएगा।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को हैदराबाद आने की चुनौती देने वाले एआईएमआईएम सांसद असादुद्दीन ओवैसी को आड़े हाथ लेते हुए संपादकीय में लिखा गया है, ‘‘ओवैसी हमें हैदराबाद आने की चेतावनी देते हैं। लेकिन हमें उनसे पूछना है कि हैदराबाद भारत में है ही नही । किसी लाहौर, कराची व पेशावर में तो नहीं है। मराठियों का गौरव सरहद पार पाकिस्तान और अफगानिस्तान और कंधार तक स्थापित है ।’’
सामना के अनुसार, ‘‘संपोलों को बढ़ाने वाले बिलों को सुरक्षित रखने से सांप खत्म नहीं हो सकते। ओवैसी और उनकी पार्टी सांप का बिल है। उन बिलों में खाद पानी डालने से राष्ट्रवाद का काम आगे नहीं बढ़ेगा।’’
(इनपुट भाषा से)