कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो सकता है। इसके लिए फिलहाल जिन दो नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, वह तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत हैं। थरूर ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर खुद के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की बात कही है। वहीं, इस रेस में गहलोत के शामिल होने की भी चर्चा है। हालांकि, गहलोत खुद अभी इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि राहुल गांधी अपना फैसला बदल देंगे और एक बार फिर से पार्टी की कमान संभालेंगे।

अगर राहुल गांधी इसके लिए मान जाते हैं तो पार्टी में चुनाव नहीं होगा, लेकिन अगर वह नहीं मानते तो शशि थरूर और अशोक गहलोत के बीच अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो सकता है। उधर, मीटिंग में सोनिया गांधी ने थरूर से कहा कि पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी लड़ सकता है और यह चुनाव निष्पक्ष होगा। अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर कांग्रेस में चल रही उथुल-पुथल को 5 प्वाइंट्स में समझें-

  • जी-23 नेताओं में शामिल शशि थरूर ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर कहा कि वह पार्टी चलाने के तरीके में व्यापक बदलाव चाहते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया कि सोनिया ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगी।
  • सोनिया गांधी ने साफ किया कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के पक्ष में हैं और उनका मानना ​​है कि पार्टी एक ऊर्जावान प्रतियोगिता से मजबूत होगी। बता दें कि जी-23 नेता हमेशा निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।
  • एआईसीसी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए किसी को किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। जो कोई भी चुनाव लड़ना चाहता है वह स्वतंत्र है और इसके लिए उसका स्वागत है। यह एक लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रक्रिया है।
  • शशि थरूर को सोनिया गांधी की स्वीकृति मिलने के अलावा राज्य इकाईयों ने राहुल गांधी के समर्थन में एक प्रस्ताव पास किया है। इसमें मांग की गई है कि पार्टी की कमान फिर से राहुल गांधी को सौंपी जाए। इस पर अभी तक सिर्फ 7 राज्यों ने मुहर लगाई है, जिनमें राजस्थान भी शामिल है और प्रस्ताव सबसे पहले यहीं से आया था।
  • राहुल गांधी के करीबियों का कहना है कि यह प्रस्ताव राहुल की इच्छा के विपरीत है। वहीं, जी-23 नेताओं कह रहे हैं कि गांधी परिवार की बिना सहमति के ऐसी चीजें कैसे हो रही हैं। कई नेताओं ने इसे लेकर दावा किया कि पार्टी नेतृत्व यह चाहता ही नहीं है कि कोई नेता आम सहमति के रूप में उभरे। उनका कहना है कि अगर कोई अध्यक्ष बनना चाहता है तो उन्हें चुनाव लड़ना ही पड़ेगा, आम सहमति सिर्फ गांधी परिवार के लोगों के लिए ही बनती है।

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव 17 अक्टूबर को होना है। 1998 में सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं और साल 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने उनके साथ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था।