महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम आने के 11 दिन बाद भी बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर असमंजस जारी है। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार सोमवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना को गठबंधन को बहुमत मिला है लेकिन शिवेसना 50:50 फॉर्मुला के तहत सरकार में हिस्सेदारी चाहती है। इसके साथ ही वह ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की भी मांग कर रही है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि शिवसेना बीजेपी का साथ छोड़ किसी अन्य विकल्प पर विचार कर सकती है।

बताया जा रहा है कि शरद और सोनिया के बीच इस बैठक में देश के आर्थिक हालातों पर चर्चा होने की संभावना है। पवार ने शनिवार को पार्टी विधायकों संग बैठक की है। इस बैठक के बाद सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली जा रहे हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच इस दौरान महाराष्ट्र के राजनीतिक हालातों पर चर्चा हो सकती है। दोनों नेता शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर गहन चर्चा कर सकते हैं।

बता दें कि इससे पहले शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख से उनके आवास पर मुलाकात की थी। हालांकि उन्होंने राजनीतिक शिष्टाचार के तहत की गई मुलाकात कहा था।

राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि एनसीपी शिवसेना को समर्थन दे सकती है लेकिन कांग्रेस दोनों दलों को बाहर से समर्थन दे सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिवसेना हिंदू राष्ट्रवाद को मानने वाली पार्टी है जबकि कांग्रेस की विचारधारा इससे उल्ट है।

राष्ट्रवाद, सेकुलरिज्म, हिंदुत्व और एनआरसी जैसे मसलों पर दोनों दलों की सोच दो ध्रुवों जैसी है। बहराल महाराष्ट्र विधानसभा का पांच साल का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है ऐसे में जल्द से जल्द सरकार गठन को लेकर तस्वीर साफ हो सकती है।

हालांकि इससे पहले शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश दिया है।

बता दें कि प्रदेश में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 105 सीटें मिली थीं जबकि 288 सदस्यीय सदन में शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। शिवसेना ने भाजपा को चुनौती दी कि वह प्रदेश में अगली सरकार बनाने का दावा पेश करे। प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हो रहा है।