बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा मंदिरों में प्रवेश को महिलाओं का मौलिक अधिकार बताये जाने के एक दिन बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने शनि शिंगणापुर मंदिर के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन वहां ग्रामीणों ने उन्हें रोक दिया। अपनी कोशिश विफल कर दिये जाने से परेशान भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की अगुवा तृप्ति देसाई ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस उपासना स्थलों पर महिलाओं के प्रवेश संबंधी बंबई उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करने में विफल रहते हैं तो वह उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करेंगी। तनावपूर्ण टकराव के बाद लैंगिक न्याय के लिए अभियान तेज करने का इरादा प्रकट करते हुए देसाई ने कहा कि उन लोगों के विरुद्ध भी पुलिस शिकायत दर्ज करायी जाएगी, जिन्होंने (महिला) कार्यकर्ताओं को अहमदनगर के इस धर्मस्थल के गर्भगृह में जाने से रोका।
मंदिर पहुंचने पर देसाई और उनकी साथियों ने पावन स्थल पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन स्थानीय विरोध समूह के सदस्यों और मंदिर अधिकारियों ने उन्हें वहां से भगा दिया। ग्रामीणों ने उन्हें वहां पहुंचने से रोकने के लिए उसका घेराव कर रखा था। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और वह महिला कार्यकर्ताओं को करीब 100 मीटर दूर ले गयी तथा उसने उन्हें सुरक्षा घेरे में ले लिया। मंदिर के गर्भ गृह में नहीं जाने दिये जाने पर देसाई और उनकी साथी अदालत के आदेश का पालन कराने में प्रशासन के विफल रहने के विरोध में धरने पर बैठ गयीं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने कहा कि मंदिर परिसर और उसके आसपास के क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखी जाएगी।
महिला कार्यकर्ताओं और स्थानीय प्रतिरोधकर्ताओं के बीच टकराव की आशंका से जिला प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए थे। तृप्ति देसाई ने कहा, ‘‘यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप पुलिस को हमें प्रतिबंधित शनि पूजा स्थल पर पूजा करने की इजाजत देने का आदेश नहीं देते हैं तो मैं इसका (आदेश का) उल्लंघन करने को लेकर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करूंगी। ’’
करीब 25 कार्यकर्ता आज सुबह पुणे से दो-तीन छोटे वाहनों से अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर के लिए रवाना हुई। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पूजा स्थलों पर जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है। देसाई ने पुणे से रवाना होने से पहले कहा, ‘‘उच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद हम मंदिर के पवित्र स्थल पर पहुंचने को प्रतिबद्ध हैं और हमें विश्वास है कि पुलिस हमें रास्ते में नहीं रोकेगी ।’’
यह कहे जाने पर कि यदि मंदिर ट्रस्ट लैंगिकता पर विचार किए बिना किसी भी व्यक्ति को मंदिर के पवित्र स्थल पर प्रवेश की अनुमति नहीं दे तो तब यह कानून (महाराष्ट्र हिन्दू पूजा स्थल (प्रवेश अधिकार) कानून 1956) और इसके प्रावधान कोई सहायता नहीं कर पाएंगे, देसाई ने कहा, ‘‘शनि शिंगणापुर के मामले में मंदिर ट्रस्ट पूजास्थल पर पुरुषों को पूजा की अनुमति देता रहा है और हमारा आंदोलन शुरू होने के बाद ही इसने पुरुषों पर प्रतिबंध लगाए। इसलिए हमें नहीं रोका जाना चाहिए।’’ देसाई ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह स्थानीय प्रशासन और पुलिस को निर्देश दें कि वे मंदिर में शांतिपूर्ण ढंग से उनके प्रवेश और भगवान शनि की पूजा करने की अनुमति देने में उनका सहयोग करें।
शनि शिंगणापुर मंदिर शनिदेव को समर्पित है, शनिदेव हिंदू मान्यता में शनि ग्रह हैं। इस मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार महिला श्रद्धालुओं को खुले गर्भगृह पर जाने की इजाजत नहीं है। इस मंदिर में दीवार और छत नहीं है। पावन भाग के रूप में पांच फुट का एक विशाल काला पत्थर है और उसकी शनि देव के रूप में पूजा की जाती है।
इस बीच, मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गठित कार्य समिति के सदस्य उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम उन्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। कार्य समिति के सदस्य शंभाजी दाहतोंदे ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्द ही उच्चतम न्यायालय जाएंगे क्योंकि यह श्रद्धालुओं के विश्वास की रक्षा करने का मामला है।’’
आंदोलन शुरू होने के बाद मंदिर प्रबंधन ने पिछले दो महीनों में पुरुषों के लिए विशेष पूजा की पद्धति पर रोक लगा दी। अब पुरुष और महिलाएं दोनों ही मूर्ति से समान दूरी पर प्रार्थना करते है। अब केवल पुरोहितों को ही गर्भगृह में जाने की इजाजत है। महिलाओं के प्रवेश पर रोक संबंध सदियों पुरानी परंपरा का उल्लंघन करते हुए पिछले साल एक महिला ने शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की कोशिश की थी तब से महाराष्ट्र में मंदिरों के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर बहस तेज हो गयी।
इस घटना के बाद मंदिर समिति ने सात सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया था और ग्रामीणों ने शुद्धिकरण किया था। उसके बाद देसाई की अगुवाई में भूमाता ब्रिगेड ने शनि मंदिर में इस पाबंदी का उल्लंघन करने के लिए बड़ी नाटकीय घटनाक्रम में अभियान शुरू किया और लैंगिक न्याय के लिए आंदोलन का निश्चय प्रकट किया।

