शनि शिंगणापुर मंदिर में बीती कई सदियों से चली आ रही परंपरा टूट गई है। शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने शुक्रवार को एलान किया कि वे गुडी पड़वा पर महिलाओं को मंदिर के अंदर दाखिल होने की मंजूरी देंगे। इसके बाद, शाम को तृप्ति देसाई की अगुआई में भूमाता बिग्रेड की सदस्य मंदिर पहुंचीं। वहां उन्होंने बकायदा पूजा पाठ किया।
WATCH: Activist Trupti Desai enters and prays inside inner sanctum of #ShaniShingnapur templehttps://t.co/TaCXrKaygV
— ANI (@ANI_news) April 8, 2016
Bhumata Brigade activist Trupti Desai outside inner sanctum of #ShaniShingnapur temple pic.twitter.com/fO5o0Bgd7k
— ANI (@ANI_news) April 8, 2016
शुक्रवार को दोपहर 12 बजे के करीब गांव के 50 से ज्यादा लोग देवस्थान ट्रस्ट के बैन को धता बताते हुए पवित्र चबूतरे पर चढ़ गए। इन लोगों ने दूध और तेल से शनि की मूर्ति का स्नान कराया। यह अनुष्ठान गुड़ी पड़वा समेत साल में तीन मौकों पर होता है। गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में नए साल का आगमन मानते हैं। मंदिर के ट्रस्ट के मैनेजर संजय बंकर ने कहा, ”हम सिर्फ कोर्ट के फैसले का पालन कर रहे हैं। हम महिलाओं को मंदिर में घुसने की मंजूरी दे रहे हैं।” बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले बुधवार को अपने फैसले में कहा था कि महिलाओं को मंदिर में घुसने से नहीं रोका जा सकता। भूमाता बिग्रेड इस मंदिर में महिलाओं की एंट्री कराने की मांग के साथ अभियान चला रहा था। इसके बाद ही यह मामला सुर्खियों में आया।
मंदिर ट्रस्ट के फैसले का स्वागत करते हुए देसाई ने कहा, ”यह महिला शक्ति की जीत है। हम बहुत खुश हैं कि हमारी कोशिशें कामयाब रहीं।” बता दें कि शनि शिंगणापुर मंदिर शनिदेव को समर्पित है, शनिदेव हिंदू मान्यता में शनि ग्रह हैं। इस मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार महिला श्रद्धालुओं को खुले गर्भगृह पर जाने की इजाजत नहीं थी। इस मंदिर में दीवार और छत नहीं है। पावन भाग के रूप में पांच फुट का एक विशाल काला पत्थर है और उसकी शनि देव के रूप में पूजा की जाती है। आंदोलन शुरू होने के बाद मंदिर प्रबंधन ने पिछले दो महीनों में पुरुषों के लिए विशेष पूजा की पद्धति पर रोक लगा दी। अभी तक पुरुष और महिलाएं दोनों ही मूर्ति से समान दूरी पर प्रार्थना करते थे। केवल पुरोहितों को ही गर्भगृह में जाने की इजाजत है। महिलाओं के प्रवेश पर रोक संबंध सदियों पुरानी परंपरा का उल्लंघन करते हुए पिछले साल एक महिला ने शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की कोशिश की थी तब से महाराष्ट्र में मंदिरों के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर बहस तेज हो गयी। इस घटना के बाद मंदिर समिति ने सात सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया था और ग्रामीणों ने शुद्धिकरण किया था। उसके बाद देसाई की अगुवाई में भूमाता ब्रिगेड ने शनि मंदिर में इस पाबंदी का उल्लंघन करने के लिए बड़ी नाटकीय घटनाक्रम में अभियान शुरू किया और लैंगिक न्याय के लिए आंदोलन का निश्चय प्रकट किया।