CAA-NRC Shaheen Bagh Protest: जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में हिंसा की जांच करने के लिए मंगलवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) जामिया पहुंची और जांच शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर छात्रों पर लाठीचार्ज की वडियो वायरल होने के बाद एसआईटी तलाशी और जांच में जुट गई है।
वहीं शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को दूसरे स्थल पर जाने के लिए मनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो वार्ताकारों की नियुक्ति पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं, मगर प्रदर्शन स्थल खाली करने की योजना नहीं है। प्रदर्शनकारी (ज्यादातर महिलाएं) पिछले करीब 65 दिनों से शाहीन बाग की मुख्य सड़क 13ए पर धरना दे रहे है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई हैं, इनमें कहा गया कि उन्होंने शाहीन बाग की मुख्य सड़क बंद कर रखा है, जिससे दिल्ली और नोएडा के बीच यातायात खासा बाधित है।
हालांकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सड़क पर विरोध-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वो कोर्ट की टिप्पणी से हतोत्साहित हैं और सरकार से उनकी मदद की मांग की है।।
नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार कहा है कि लोकतंत्र हर किसी के लिए, ऐसे में विरोध के नाम पर सड़क जाम नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों का पक्ष जानने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया है।
नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार कहा है कि लोकतंत्र हर किसी के लिए, ऐसे में विरोध के नाम पर सड़क जाम नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों का पक्ष जानने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने कहा है कि शाहीन बाग के लोगों से सरकार को बातचीत करनी चाहिए। अगर सरकार ऐसा करेगी तो इस मुद्दे का हल निकल सकता है।
उत्तर प्रदेश की पीस पार्टी के नेताओं एवं कई उलेमाओं ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन किया और सरकार से इस कानून को वापस लिए जाने की मांग की। प्रदर्शन में पीस पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और कई मौलवी शामिल हुए। पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर अय्यूब ने कहा, ‘‘संविधान बचेगा तभी देश बचेगा और आखिरी दम तक हम संविधान तथा अपने वजूद की लड़ाई लड़ेंगे। हम मांग करते हैं कि सरकार सीएए को वापस ले क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।’’
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि लोगों को एक कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का मौलिक अधिकार है लेकिन सड़कों को अवरूद्ध किया जाना चिंता की बात है और संतुलन का एक कारक होना जरूरी है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शनों के कारण सड़कें अवरूद्ध होने को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की एक पीठ ने कहा कि उसे चिंता इस बात की है कि यदि लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने लगेंगे तो क्या होगा। न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति से चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं।
शाहीन बाग प्रदर्शन की वजह से सड़कों पर जाम की समस्या हो रही है। न्यूज चैनल एबीपी ने जाम की समस्या को लेकर सरिता विहार और मदनपुर खादर के इलाके के कई बच्चों से बातचीत की। बातचीत के दौरान बच्चों ने बताया कि उन्हें घंटो बस में बैठना पड़ता है। पढ़ाई पर भी बहुत असर पड़ रहा है। बातची के दौरान टीचर भी शाहीन बाग की सड़क बंद होने से खासे परेशान नजर आए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्था कमेटी बनाने पर शाहीन बाग के प्रदर्शकारियों ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने, 'हमने सुना है कि कोर्ट में क्या हुआ है। कोर्ट शायद हमारा समर्थन ना करे, मगर हम यहीं बैठे रहेंगे। उनके लिए एक मात्र मुद्दा सड़क बंद होने का है, जिसके हल किया जा सकता है। लोग चाहते हैं कि हम दूसरी जगह चले जाएं। मगर इससे विरोध-प्रदर्शन की ताकत कमजोर हो जाएगी। हम हेगड़े से बात कर सकते हैं, क्योंकि वो पहले भी यहां आए हैं। वो हमें समझेंगे।'
शाहीन बाग के रोड नंबर 13A यानी कालिंदी कुंज रोड पर प्रदर्शन ने पहले रोजाना 82 हजार 500 वाहन गुजरते थे। इनमें दस हजार वाहन माल ढुलाई वाले हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि इतनी बड़ी मात्रा में ये वाहन जब वैकल्पिक सड़कों से गुजरते होंगे तो उन सड़कों पर कितना ट्रैफिक होता होगा।
शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए तम्बू ने स्थल को ‘न्याय और समानता के लिए युद्ध का मैदान' के रूप में प्रतिरूपित किया। उन्होंने कहा कि वे वहां से जाने के विचार से विचलित नहीं हैं लेकिन वे पहले CAA पर सरकार के साथ विस्तृत बातचीत करना चाहते हैं।
शाहीन बाग मामले की सुनवाई हो चुकी थी और अदालत ने आदेश लिखाना शुरू कर दिया था। जस्टिस संजय कौल ने अचानक मामले का हल बातचीत से सुलझाने पर जोर दिया। इस बाबत वार्ताकार नियुक्त करने की मंशा जताते हुए उन्होंने अदालत कक्ष पर निगाह दौड़ाई और वकीलों की तीसरी कतार में बैठे सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े का नाम पुकारा। जस्टिस कौल ने कहा कि आप पीछे क्यों बैठे हैं। आगे आइये मिस्टर हेगड़े... हेगड़े आगे आए तो कोर्ट ने कहा कि क्या आप इस बाबत कोर्ट की मदद करेंगे। हेगड़े ने थोड़े संकोच के साथ कहा कि वो खुशी-खुशी इस जिम्मेदारी को निभाएंगे।
ओल्ड वाशरमैनपेट इलाके में धरना स्थल पर आज एक जोड़े की शादी हुई, जहां CAA, NRC और NPR के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सैंकड़ों लोग, विशेषकर महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग में डेरा डाले हुए हैं, जिनके प्रदर्शनों वजह से एक मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया है जिसके कारण शहर में यातायात की समस्या पैदा हो गई है। महिला प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए तम्बू ने स्थल को ‘‘न्याय और समानता के लिए युद्ध का मैदान’’ के रूप में प्रतिरूपित किया। उन्होंने कहा कि वे वहां से जाने के विचार से विचलित नहीं हैं लेकिन वे पहले सीएए पर सरकार के साथ विस्तृत बातचीत करना चाहते हैं। बाटला हाउस का निवासी शाहीदा खान ने कहा, ‘‘हमने 15 दिसंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया जब जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को पुलिस द्वारा बुरी तरह से पीटा गया था। हमें स्थानांतरण से बहुत खुशी नहीं होगी लेकिन चूंकि यह अदालत का फैसला है, इसलिए हम इसे पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करेंगे।’’