बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के एक संवाद का देश की सियासत पर दमदार असर पड़ गया। अभिनेता पर निशाना बनाने वाले नेता को अपने बयान से पलटना पड़ा तो भाजपा की सहयोगी शिवसेना खान के समर्थन में आई। वहीं असहिष्णुता पर बालीवुड भी बंट गया। अभिनेता अनुपम खेर ने सरकार के पक्ष में अपनी आवाज उठा दी है। देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में सम्मान लौटाने के लिए फिल्म निर्माताओं की आलोचना कर चुके, अभिनेता अनुपम खेर सहिष्णुता पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति भवन तक एक मार्च का नेतृत्व करेंगे।
साठ साल के अभिनेता ने कहा कि मार्च सात नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें कलाकार, लेखक और चित्रकार शामिल होंगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम सभी को बोलना होगा। वरना कभी कभी बार-बार दोहराया गया झूठ भी सच जैसा लगने लगता है। कलाकारों, लेखकों, चित्रकारों आदि राष्ट्रपति भवन तक सात नवंबर को निकाले जाने वाले अपने मार्च के संबंध में गुरुवार को आपको विस्तृत जानकारी देंगे। सहिष्णुता पर चर्चा’।
वहीं शाहरुख खान के खिलाफ अपनी टिप्पणियों के कारण आलोचना का शिकार बन रहे भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अपने विवादास्पद ट्वीट बुधवार को वापस ले लिए। तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन और अरविंज केजरीवाल ने भी शाहरुख मसले पर भाजपा पर निशाना साधा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर रघुराम राजन ने बुधवार को फिर कहा कि सहिष्णुता भारत की एक बड़ी ताकत है और उसे गंवाना बेवकूफी है।
विजयवर्गीय ने बुधवार सुबह माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कहा, ‘मेरा इरादा किसी को आहत करने का नहीं था। मैं मंगलवार को किए गए अपने ट्वीट वापस लेता हूं’। इस बीच पार्टी ने शाहरुख के खिलाफ विजयवर्गीय की में की गई टिप्पणियों से खुद को दूर रखते हुए कहा कि ये ‘भाजपा के विचार नहीं हैं’।
भाजपा महासचिव ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि अगर भारत में असहिष्णुता होती तो, ‘अमिताभ बच्चन के बाद शाहरुख सबसे लोकप्रिय अभिनेता नहीं होते। कुछ लोगों ने मेरे ट्वीट का अलग अर्थ निकाल लिया’। विजयवर्गीय ने मंगलवार को यह ट्वीट करके विवाद खड़ा कर दिया था कि शाहरुख रहते भारत में हैं लेकिन उनका ‘मन’ पाकिस्तान में रहता है। अभिनेता ने कहा था कि देश में ‘अत्यधिक असहिष्णुता’ है जिसके एक दिन बाद विजयवर्गीय ने यह टिप्पणी की थी।
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री एम वेकैंया नायडू ने कहा कि विजयवर्गीय ने जो कहा, वे ‘भाजपा के विचार नहीं हैं’। नायडू ने कहा, ‘हमने देखा नहीं है कि उन्होंने वास्तव में कहा क्या है। जो बताया जा रहा है, वे पार्टी के विचार नहीं हैं। हम सामान्य तौर पर व्यक्तियों पर टिप्पणी भी नहीं करते हैं’।
उन्होंने कहा, ‘हमें शाहरुख खान से कोई समस्या नहीं है। वे शानदार अभिनेता हैं। निस्संदेह लोग उनकी सराहना करते हैं लेकिन विजयवर्गीय ने असल में क्या कहा है, मैंने अभी वह पढ़ा नहीं है’। शाहरुख के खिलाफ अपने ट्वीट के कारण विजयवर्गीय की चौतरफा आलोचना हो रही है। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने इन ट्वीट को दु:खद करार दिया है।
डेरेक ने बयान में कहा, ‘भाजपा महासचिव और बंगाल प्रभारी ने शाहरुख खान के खिलाफ दु:खद टिप्पणियां की हैं। यह कैसी सोच है? हर कोई बुरा है और केवल आप ही अच्छे हैं’? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बालीवुड सुपरस्टार के समर्थन में आगे आए हैं। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘शाहरुख खान, हमें आप पर गर्व है। उम्मीद है कि आपके शब्द एक सहिष्णु, समावेशी और प्रगतिशील भारत के निर्माण में मदद करेंगे’।
दूसरी ओर अभिनेता शाहरुख खान पर की गई कुछ टिप्पणियों के बाद अभिनेता अनुपम खेर अपने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के सह-अभिनेता के बचाव में उतर आए हैं। देश में असहिष्णुता पर शाहरुख की टिप्पणी के बाद योगी आदित्यनाथ में अभिनेता की तुलना पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद से की थी। ट्विटर के माध्यम से 60 साल के खेर ने शाहरुख खान के खिलाफ कुछ भाजपा नेताओं के विवादित बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट किया है, ‘भाजपा के कुछ सदस्यों को वाकई अपनी जुबान काबू में करने और शाहरुख के बारे में अपशब्दों का उपयोग बंद करने की जरूरत है। वे राष्ट्रीय हस्ती हैं और हमें उनपर गर्व है’।
वहीं शाहरुख को बुधवार को महाराष्ट्र में भाजपा की अगुआई में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल शिवसेना का समर्थन मिला जिसने कहा कि अभिनेता को महज इसलिए नहीं निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि वे एक मुसिलम हैं और भारत में अल्पसंख्यक समुदाय ‘सहिष्णु’ है। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह देश सहिष्णु है और मुसलिम भी सहिष्णु हैं। शाहरुख को महज इसलिए निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि वे एक मुसलिम हैं’।
विजयवर्गीय को आड़े हाथ लेते हुए राउत ने कहा कि भाजपा महासचिव को सहिष्णुता की बहस में पाकिस्तान को नहीं लाना चाहिए। यह भारत का अंदरूनी मामला है। राउत ने कहा कि शाहरुख खान सुपरस्टार केवल इसीलिए हैं क्योंकि भारत सहिष्णु है और उन पर धर्म के आधार पर विचार नहीं किया जाता। बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि शाहरुख इस मुद्दे पर काफी देर से बोले। शिवसेना नेता ने कहा, ‘पहली बात तो शाहरूख खान को सहिष्णुता की बहस में पड़ना ही नहीं चाहिए था और दूसरी बात की अपने पुरस्कार लौटाने वाले लोगों में मुसलिमों की संख्या लगभग नगण्य है। साथ ही शाहरुख इस मुद्दे पर बहुत देर से बोले’।
वहीं उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां ने शाहरुख खान का बचाव करते हुए कहा कि भाजपा नेताओं के तल्ख बयानों से न सिर्फ शाहरुख का अपमान हुआ है बल्कि उनकी पत्नी और बच्चों का भी दिल टूटा है। उन्होंने कहा, ‘केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा के नेताओं ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते हुए जिस तरह से कलाकार शाहरुख खान को देशद्रोही और पाकिस्तानी एजंट कहा है। उससे न सिर्फ शाहरुख का घोर अपमान हुआ है, बल्कि उनकी पत्नी और बच्चों का भी दिल तोड़ा गया है’। खां ने कहा ‘प्रधानमंत्री के लोग जिस तरह से दिलों को तोड़ने का काम कर रहे हैं, उससे देश की बुनियादों को कमजोर करने के अलावा और कुछ भी नहीं हो रहा है। दीपावली के दीयों से रोशनी फैलाने के बजाए जो नेता और धार्मिक लोग दिए से आग लगाना चाहते हैं, उन्हें सहनशीलता का तरीका सीखने की कोशिश करनी चाहिए कि कमजोरों को भी सांस लेने का मौका देना चाहिए’।
नगर विकास मंत्री ने कहा कि कलाकारों, साहित्यकारों और वैज्ञानिकों को भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में सम्मानित नजरों से देखा जाता है और उन्हें देश का भविष्य माना जाता है लेकिन भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा और शिवसेना ने उनका अपमान किया है।
किसने क्या कहा:
बयान जो बन गया विवादों की खान:
धार्मिक असहिष्णुता से ज्यादा बुरी कोई और चीज नहीं है और यह भारत को अंधेरे युग में ले जाएगी। हमारे धर्म को मांस खाने की हमारी आदत से परिभाषित नहीं किया जा सकता और ऐसा करना निहायत बचकाना है। (शाहरुख खान, अभिनेता)
शाहरुख और हाफिज सईद की भाषा एक:
शाहरुख को याद रखना चाहिए कि अगर समाज में बड़ी संख्या में लोगों ने उनकी फिल्मों का बहिष्कार किया तो उन्हें सामान्य मुसलिम की तरह सड़क पर घूमना होगा। मैं कह रहा हूं कि ये लोग आतंकवादी की भाषा बोल रहे हैं। मेरा मानना है कि शाहरुख खान और हाफिज सईद की भाषा में कोई अंतर नहीं है। हम स्वागत करते हैं कि लोग वहां (पाकिस्तान) जाएं, कम से कम जो लोग भारत को बदनाम करते हैं, उन्हें अपनी असलियत समझ में आनी चाहिए। (योगी आदित्यनाथ, भाजपा सांसद)
शानदार शाहरुख:
हमने देखा नहीं है कि उन्होंने वास्तव में कहा क्या है। जो बताया जा रहा है, वे पार्टी के विचार नहीं हैं। हम सामान्य तौर पर व्यक्तियों पर टिप्पणी भी नहीं करते हैं। हमें शाहरुख खान से कोई समस्या नहीं है। वे शानदार अभिनेता हैं। निस्संदेह लोग उनकी सराहना करते हैं लेकिन विजयवर्गीय ने असल में क्या कहा है, मैंने अभी वह पढ़ा नहीं है।
(एम वेंकैया नायडू, केंद्रीय मंत्री)
अब सहिष्णुता पर चर्चा:
हम सभी को बोलना होगा। बार-बार दोहराया गया झूठ सच जैसा लगने लगता है। कलाकारों, लेखकों, चित्रकारों के राष्ट्रपति भवन तक सात नवंबर को निकाले जाने वाले मार्च के बारे में कल जानकारी देंगे – सहिष्णुता पर चर्चा। (अनुपम खेर का ट्वीट)
लड़ाई हो विचारों की:
एक-दूसरे पर चिल्लाते हुए परिचर्चा नहीं कर सकते। विचारों को एक-दूसरे से लड़ने दीजिए। लेकिन हम जो सोचते हैं, उसके बारे में किसी को कहने से मत रोकिए। अन्य देशों के मुकाबले भारत की जो ताकत है, उसे नहीं गंवाना चाहिए। यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि दोनों पक्ष अति वामपंथ, और अति दक्षिणपंथ यह नहीं कहे कि मैं जो सुनना चाहता हूं, वह अगर आप नहीं कहेंगे तो मैं आपको चुप करा दूंगा। एक सही परिचर्चा हो। आपको उस माहौल को बचाए रखना है। शुक्र है कि मुख्यधारा इसका पूरा समर्थन करता है। (रघुराम राजन, रिजर्व बैंक के गवर्नर)
बहस में क्यों लाए पाकिस्तान?
यह देश सहिष्णु है और मुसलिम भी सहिष्णु हैं। शाहरुख को महज इसलिए निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि वे एक मुसलिम हैं। भाजपा महासचिव को सहिष्णुता की बहस में पाकिस्तान को नहीं लाना चाहिए। यह भारत का अंदरूनी मामला है। शाहरुख खान सुपरस्टार केवल इसलिए हैं कि भारत सहिष्णु है और उन पर धर्म के आधार पर विचार नहीं किया जाता।
(संजय राउत, शिवसेना सांसद)
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