सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कपिल सिब्बल आपस में भिड़ गए। मामला इतना ज्यादा बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 1 में माहौल बेहद कसैला हो गया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ खुद संवैधानिक बेंच में बैठे थे। दोनों के बीच बढ़ती तल्खी को देख उनको बीच में दखल देना पड़ा। सीजेआई ने संविधान का हवाला दिया तब कहीं जाकर दोनों शांत हुए।

मेहता बोले कश्मीर में नहीं होते बंद तो भड़क गए सिब्बल

दरअसल, कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को तुषार मेहता सही बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हुए हैं। आज की तारीख में वहां के लोग आजादी से रह रहे हैं। वो खुशहाल हैं। हालात कितने बदले हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 2018 में 52 बंद आयोजित किए गए थे। आज इनकी तादाद शून्य है। उनका कहना था कि कश्मीर में हालात पूरी तरह से सामान्य हैं।

सीनियर एडवोकेट ने कहा- कश्मीर में 5 हजार लोग हाउस अरेस्ट

कपिल सिब्बल दूसरी तरफ से पैरवी के लिए आए थे। वो तुषार मेहता के दावे पर भड़क गए। उन्होंने तीखे लहजे में कहा कि कश्मीर में कोई बंद कैसे आयोजित कर सकता है, लोगों को अस्पताल जाने की भी आजादी नहीं है। जब तब वहां इंटरनेट बंद हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस बात को माना है। सिब्बल का कहना था कि 5 हजार लोग हाउस अरेस्ट में हैं कोई बंद कैसे आयोजित हो सकता है। उनका कहना था कि सरकार लोकतंत्र का मजाक बना रही है। केंद्र के पास जाने के बाद कश्मीर में हालात तेजी से खराब हुए हैं। लोग भय के माहौल मेें जी रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि ये सारी चीजें ऑन रिकार्ड हैं। ये सारी चीजें टेलीविजन पर कई बार प्रसारित हो चुकी हैं। सरकार को इनके बारे में जवाब देना ही होगा।

तुषार मेहता ने उनकी इस दलील पर कहा कि तरक्की कभी भी परेशानी पैदा नहीं करती। सिब्बल ने कहा कि ये लोग अपनी चीजों को दुरुस्त बताने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। लेकिन सरकार को कश्मीर का सच सुप्रीम कोर्ट के सामने रखना ही होगा।

सीजेआई बीच में आए, बोले- डेकोरम मेंटेन रखें

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ दोनों की बहस को पहले तो चुपचाप सुनते रहे। उन्होंने दोनों को रोकने की कोशिश नहीं की। लेकिन जब उनको लगा कि बहस कानूनी दांवपेचों से बाहर जा रही है तो उन्होंने कहा कि संवैधानिक सवालों का जवाब संवैधानिक नजरिये से तलाश किया जाएगा। पॉलिसी डिसीजन की इसमें कोई अहमित नहीं है। सीजेआई का कहना था कि वो बड़े धीरज के साथ सारा केस सुन रहे हैं, आप भी डेकोरम मेंटेन रखें। कोर्ट में ऐसी स्थिति न पैदा करें जिससे देखकर अच्छा न लगे। सीजेआई ने कहा कि मेहता ने जो कहा वो सरकार का पक्ष है। उसे सुनने में क्या दिक्कत है?