तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने कहा कि उनके कुछ परिजन समन दिए जाने के बावजूद पेश नहीं हुए हैं। एजेंसी का कहना है कि बालाजी के भाई और परिवार के दो अन्य सदस्यों ने अपराध की आय को ठिकाने लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एजेंसी ने मंत्री के भाई आरवी अशोक कुमार को केरल के कोच्चि से हिरासत में लिए जाने की बात को बेसिरपैर का करार दिया। एजेंसी ने कहा कि अशोक, उनकी पत्नी निर्मला और सास पी लक्ष्मी को कई समन भेजे गए थे। लेकिन वो ईडी के सामने पेश नहीं हुए। बालाजी को जून में नौकरी के बदले नकदी घोटाले से जुड़ी जांच में कथित धनशोधन के लिए ईडी ने गिरफ्तार किया था।
30 करोड़ की जमीन को सास ने एक्वायर करके वापस गिफ्ट कर दिया
एजेंसी ने कहा कि सबूत इशारा करते हैं कि तीनों ने अपराध से हुई आय को ठिकाने लगाने में अहम भूमिका निभाई थी। करूर की 2.49 एकड़ जमीन को पहले सास पी लक्ष्मी ने अधिग्रहित कर लिया था। इसकी कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने बाद में इसे अपनी बेटी निर्मला को गिफ्ट कर दिया था। पिछले सप्ताह ईडी ने इसे कुर्क कर लिया था।
सेंथिल के खिलाफ दायर किया गया है 3 हजार पेज का आरोपपत्र
ईडी ने पिछले हफ्ते सेंथिल बालाजी के खिलाफ लगभग 3 हजार पेज का आरोपपत्र दायर किया था। चेन्नई की एक अदालत ने उन्हें 25 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। सेंथिल चेन्नई की पुझल केंद्रीय जेल में बंद हैं। लेकिन अभी भी वो तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की सरकार में बालाजी बिना प्रभार के मंत्री बने हुए हैं।
सेंथिल पर आरोप है कि तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहते नौकरी के बदले उनके इशारे पर ही रिश्वत ली गई थी। बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया गया था। एजेंसी के मुताबिक बालाजी ने रिश्वत के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।