आज के दौर में अक्सर मीडिया पर ‘गोदी मीडिया’ के आरोप लगते हैं और कई बार, कई पत्रकारों को निशाना भी बनाया जाता है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब पत्रकार या मीडिया संस्थान पर खबर दबाने या किसी खास के पक्ष या विपक्ष में लिखने का आरोप लगा हो। इससे पहले 1988 के दौर में भी ऐसी ही परिस्थिति थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स दलाली केस से जुड़ी खबरें प्रकाशित होने में हीलाहवाली होती थी। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने पुराने दिनों को याद करते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है कि 1988 में जब वीपी सिंह ने बोफोर्स घोटाले के बारे में सिव्स बैंक का एक अकाउंट नंबर दिया था, तब एजेंसी ने उस खबर को किल कर दिया था, यानी मार दी थी।
हालांकि, जनसत्ता ने उस खबर को पहले पन्ने पर स्थान दिया था। सुरेंद्र किशोर पुराने दिनों को याद कर लिखते हैं, “यह ‘गोदी मीडिया’ का कमाल था या आपातकाल जैसे हालात थे जब 1988 में बोफोर्स दलाल क्वोत्राचि के स्विस बैंक के गुप्त खाते का नंबर तक नहीं छप सका था?!!!”
उन्होंने आगे लिखा है, “मैं ‘जनसत्ता’ में छपी अपनी पुरानी रपटों को उलट रहा था। मुझे वी.पी. सिंह के 4 नवंबर, 1988 के पटना भाषण की अपनी रिपार्टिंग मिली। याद आया कि तब क्या-क्या हुआ था। वी.पी. सिंह ने उस भाषण में स्विस बैंक के एक खुफिया खाते का एक नंबर बताया था। आरोप लगाया था कि उस खाते में बोफोर्स की दलाली के पैसे जमा हैं। पूर्व रक्षा मंत्री ने यह भी चुनौती दी कि यदि खाता नंबर गलत हुआ तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। यह खबर ‘जनसत्ता’ में तो पहले पेज पर छपी। पर अन्य अखबारों में….? मुझे बताया गया कि कहीं और नहीं छपी।”
किशोर ने आगे लिखा है, “यदि कहीं छपी हो तो कोई फेसबुक मित्र अब भी मुझे संदर्भ देकर बता दें। मैं अपनी अधूरी जानकारी को पूरा कर लूंगा। क्या तब वह खबर रोक दी गई? किसने रोकी? किसने रुकवाई? या उन दिनों की मीडिया “गोदी मीडिया” की भूमिका में थी?”
वरिष्ठ पत्रकार ने मामले पर से पर्दा उठाते हुए लिखा है, “हां, एक बात का पता मुझे बाद में चला। एक न्यूज एजेंसी ने 4 नवंबर को ही उस खाता नंबर के साथ वी.पी. सिंह का भाषण जारी किया था। पर उस खबर को बाद में ‘किल’ कर दिया गया। ऐसा ऊपरी दबाव में हुआ? या खुद एजेंसी के मुख्यालय ने अपने विवेक से काम किया? यह पता नहीं चल सका। उन्होंने लिखा कि जब बोफोर्स मामले की सीबीआई जांच हुई तो वीपी सिंह ने जिस खाता नंबर का उल्लेख किया था वह सच निकला था।
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