मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए आज नामांकन दाखिल करने का समय तब बढ़ा दिया गया जब विपक्षी शिवसेना ने कार्यवाही बाधित की। पार्टी ने मांग रखी कि विधानसभाध्यक्ष के चुनाव की प्रस्तावित अधिसूचना रद्द की जाए क्योंकि सभी सदस्यों ने शपथ नहीं ली है।
सदस्यों के शपथ लेने के लिए सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुयी शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुए विधानसभाध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्तावित अधिसूचना रद्द करने की मांग की।

शिंदे ने कहा, ‘‘नामांकन दाखिल करने का समय दिन में 12 बजे तक है। 106 सदस्यों ने शपथ नहीं ली है इसलिए प्रस्ताव देने, उम्मीदवार के नाम का समर्थन करने या यहां तक कि अगर वे चुनाव लड़ना चाहते हैं तो जब तक वे सदस्य के तौर पर शपथ नहीं लेते, वे प्रक्रिया में भागीदारी नहीं कर सकते।’’
बाद में विधानसभाध्यक्ष के पद के लिए नामांकन दाखिल करने का समय दिन में तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया।

शिंदे ने जब कहा कि अधिसूचना रद्द की जानी चाहिए और नामांकन दाखिल करने का वक्त बढ़ाया जाए । इसके बाद शिवसेना के सभी सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर मांग करने लगे कि अस्थायी अध्यक्ष द्वारा कोई व्यवस्था दिए जाने तक कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए।

अस्थायी अध्यक्ष जीवा पांडू गवित ने कहा कि कार्यवाही रोकने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, शिवसेना के सदस्य अपनी मांग पर कायम रहे। उन्होंने अपनी मांग के समर्थन में नारे लगाए कि जब तक आदेश नहीं दिया जाता कार्यवाही नहीं बढ़ायी जा सकती।

हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह को रोकना अनुचित होगा, इसके बाद शिवसेना सदस्य नारेबाजी करने लगे।

गणपतराव देशमुख :पीडब्लूपी: ने कहा कि जहां तक व्यवस्था का सवाल है इसे सुधारा जाए लेकिन तब तक शपथ ग्रहण प्रक्रिया को रोकना ठीक नहीं होगा।

देशमुख के नजरिए का राकांपा सदस्य आर आर पाटिल ने समर्थन किया। पाटिल ने कहा कि सभी सदस्यों के शपथ लेने तक नामांकन दाखिल करने का समय बढ़ाया जाए।

विधायी मामलों के मंत्री प्रकाश मेहता सुझाव पर राजी हो गए।

मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों, पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधानसभाध्यक्ष, उप विधानसभाध्यक्ष, महिला सदस्यों सहित 178 सदस्यों ने कल शपथ ली थी।

बहरहाल, अस्थायी अध्यक्ष गवित ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का एक पत्र पढ़ा जिसमें अनुरोध किया गया कि शपथ लेने के बाद अखंड महाराष्ट्र के खिलाफ किसी तरह के नारे को कार्यवाही से हटा देना चाहिए। वह उस वक्तव्य का हवाला दे रहे थे जब कुछ सदस्यों ने शपथ लेने के बाद ‘जय विदर्भ’ कहा था।