दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रमुख मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के अवमानना नोटिस के जवाब में कहा है कि वह सीलिंग अधिकारी बन सकते हैं। वह आगे बोले- मैंने कोर्ट की अवमानना नहीं की, लिहाजा मुझ पर यह मामला नहीं बनता है। उन्होंने इसके अलावा मॉनिटरिंग कमेटी को भंग करने की मांग उठाई। कारण बताते हुए बोले कि मॉनिटरिंग कमेटी का इस मसले से कोई जुड़ाव नहीं है।
सोमवार (एक अक्टूबर) को तिवारी ने दाखिल किए हलफनामे में कहा कि राजधानी दिल्ली को चार सालों में वह रहने लायक और वैध जगह बनाने के लिए सीलिंग अधिकारी बन सकते हैं। मगर इसके लिए कोर्ट को मॉनिटरिंग कमेटी भंग करनी पड़ेगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के भ्रष्ट कर्मचारियों ने मनमाने ढंग से मकानों को सील किया। उनके मुताबिक, उनका मतलब कोर्ट का असम्मान करना नहीं था। बल्कि वह इस अवैध सीलिंग के खिलाफ सांकेतिक विरोध जताना चाहते थे।
आपको बता दें कि 16 सितंबर को दिल्ली बीजेपी प्रमुख ने गोकुलपुर में सील बंद मकान का ताला तोड़ दिया था, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आगे इसी बाबत उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया था।
कोर्ट ने उन्हें 25 सितंबर को हाजिर होने के लिए कहा था। कोर्ट ने उस दिन की सुनवाई में तिवारी को जमकर फटकार सुनाई थी कि अगर उन्हें सीलिंग के बारे में इतना सब पता है तो क्यों न उन्हें सीलिंग अधिकारी बना दिया जाए। कोर्ट ने उनको जवाब देने के लिए तीन अक्टूबर तक का वक्त दिया था।
कोर्ट की अवमानना के मामले में सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों वाली बेंच ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था, “आपने टीवी इंटरव्यू में दावा किया था कि एक हजार अनाधिकृत संपत्तियां हैं, जिन्हें सील होना चाहिए। आप हमें कल सुबह तक उनकी सूची दीजिए और हम उन्हें सील करने का अधिकार आपको देंगे। जाइए और सीलिंग कीजिए। हम आपको सीलिंग अधिकारी बना देंगे।”