सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक नाबालिग लड़के द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। नाबालिग कि पिता गंभीर रूप से बीमार हैं और वह अपने पिता की जान बचाने के लिए अपना लिवर दान करना चाहता है। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट से इजाजत देने की गुहार लगाई है। नाबालिग की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उसके पिता की हालत बहुत गंभीर है और उनकी जान बचाने का एकमात्र तरीका अंगदान है।

इस पर सुनवाई कर रही जस्टिस एसआर भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। नाबालिग के पिता काफी ज्यादा बीमार हैं और उनकी जान बचाने के लिए लिवर की जरूरत है और नाबालिग इसके लिए अपना लिवर डोनेट करना चाहता है। चूंकि उसकी उम्र कम है। इस वजह से देश के अंगदान कानून इसमें बाधक बन सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि विशेष परिस्थिति और बच्चे की पिता की जान बचाने की आकांक्षा के चलते राज्य सरकार और सर्वोच्च न्यायालय क्या फैसला सुनाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यूपी सरकार के स्वास्थय विभाग से जवाब मांगा है। राज्य के स्थाई वकील को स्वास्थ्य सचिव लखनऊ को अदालत के आदेश से अवगत कराने के लिए भी कहा गया है। अब कोर्ट इस मामले में 12 सितंबर को सुनवाई करेगा।

इस सुनवाई में कोर्ट ने यूपी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को उपस्थित रहने का आदेश दिया है। याचिका पर कार्ट का कहना है कि लीवर दिया जा सकता है या नहीं, यह देखने के लिए नाबालिग का प्रारंभिक परीक्षण किया जाना है।

बता दें कि नाबालिग की उम्र 17 साल है और उसके पिता को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। ऐसे मामले में मरीज की हालत को देखते हुए कोर्ट को जल्द निर्णय लेना होता है। इसी तरह का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष भी आया था। एक 16 साल की नाबालिग अपने लिवर का एक हिस्सा अपने पिता को देना चाहती थी, लेकिन उसकी एप्लीकेशन सरकार ने स्वीकर नहीं की थी। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को इस मामले में फैसला लेने का निर्देश दिया था।