सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दुष्कर्म के मामले में जेल की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य के आधार पर अपनी सजा निलंबित करने की मांग की थी। याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई की। पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंच ने आसाराम के वकीलों से राहत के लिए राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा।
आसाराम हिरासत में इलाज कराने को तैयार हुए
उनके कानूनी सलाहकारों ने कहा कि आसाराम सरकारी वकील के इस बयान को स्वीकार करने को तैयार हैं कि वह पुलिस हिरासत में महाराष्ट्र के खोपोली में माधवबाग हार्ट हॉस्पिटल में इलाज करा सकते हैं। पीठ ने आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट के समक्ष आवेदन देने को कहा और कहा कि इस पर कानून के मुताबिक विचार किया जायेगा।
एक अन्य मामले में भी उम्रकैद की सजा मिली हुई है
न्यायमूर्ति खन्ना ने मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ हाईकोर्ट के समक्ष अपील की सुनवाई में आसाराम के जानबूझकर देरी करने की कोशिश को भी चिह्नित किया। आसाराम बापू के नाम से मशहूर आसुमल हरपलानी को 2018 में जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने सहित कई अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। इस मामले में उन्हें भी सजा दी गई थी। 2013 में 33 वर्षीय एक महिला के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के लिए उन्हें 2023 में एक अन्य मामले में भी आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।
इससे पहले दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद उनके बेटे नारायण साईं ने गुजरात हाई कोर्ट से अस्थाई जमानत की मांग की है। हाई कोर्ट से अपील करते हुए उसने अपने पिता आसाराम बापू से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। बता दें, साईं और आसाराम बापू बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में बंद हैं।
आसाराम बापू के बेटे साईं की अस्थाई जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएस सुपेहिया और विमल व्यास की खंडपीठ ने कहा कि उसे पहले साई के दावों (उसके पिता की स्थिति के बारे में) का पुष्टि करनी होगी, क्योंकि उसे नारायण साईं पर भरोसा नहीं है। (PTI इनपुट के साथ)