सुप्रीम कोर्ट में सोमवार एक जज ने सुनवाई से इसलिए इन्कार कर दिया, क्योंकि वकील ने उस दौरान अपना एडवोकेट बैंड नहीं पहना था। जज ने इस पर उन्हें झाड़ा और कहा कि वह सही से ड्रेस पहन कर सुनवाई के लिए आएं।

‘Live Law’ के मुताबिक, जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच से जुड़ा है। इसी बेंच ने सुनवाई से साफ तौर पर मना कर दिया था। दरअसल, वकील उस दौरान एडवोकेड बैंड की जगह पर टाई लगाकर आ गए थे।

बेंच ने इसी को लेकर वकील को प्रॉपर ड्रेस में आने की नसीहत दी। कहा, “सुनवाई के दौरान आप उचित ड्रेस में रहा करें।” हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह वाकया कौन से मामले की सुनवाई के दौरान का था।

वैसे, सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों ने तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। @Varunraj_n के टि्वटर हैंडल से कहा गया- उम्मीद है कि यह JEE NEET वाले न हों।

@IAayushPandey ने लिखा, “बड़े वकील जज को कुछ समझते ही नहीं हैं। वे कंट्रोल कर के रखते हैं बार को।” @Bhawini0 बोलीं- आखिर वकील अपनी वेशभूषा को लेकर इतना गैर-जिम्मेदार क्यों रहते हैं? कुछ नियम होते हैं और उनका पालन भी किया जाना चाहिए!!! और इस पेशे में तो य जरूरी ही है!

@x_x_stranger के हैंडल से कहा गया- और राजीव धवन हुक्का पी रहे थे। सुनवाई के दौरान…उनके बारे में क्या कहना चाहेंगे आप?

बता दें कि वकील काले कोट के साथ एक बैंड भी पहनते हैं। इसे एडवोकेट बैंड भी कहते हैं। यह सफेद रंग का होता है। इस कॉलर बैंड के पीछे भी अपना ही इतिहास है। बताया जाता है कि साल 1640 में कुछ वकील शर्ट के कॉलर छुपाने के लिए लिनन के सादे बैंड यूज करते थे।

ये बैंड मूल रूप से चौड़े होते थे और लेस के साथ बांधे जाते थे। वर्ष 1860 तक ये बैंड दो आयतों के रूप में बदल दिए गए, जो आधुनिक बैरिस्टर के कॉलर बैंड जैसे थे। चूंकि, सफेद रंग शांति, पवित्रता और पारदर्शिता को दर्शाता है, जिससे समझा जाता है कि न्यायाधीश का फैसला फाइनल और बिल्कुल निष्पक्ष है|