Supreme Court Live streaming: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के कार्यकाल का आज आखिरी दिन रहा। इस मौके पर कोर्ट में सेरेमोनियल बेंच की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हुआ। वहीं इस दौरान कई अहम मामलों पर सुनवाई भी हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों द्वारा ‘मुफ्त उपहार का वादा’ करने पर रोक लगाने के मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया है।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शुक्रवार को कहा कि ‘चुनाव में मुफ्त उपहार’ के मुद्दे की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करना सही रहेगा। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है, इसपर व्यापक सुनवाई करने की आवश्यकता है। ऐसे में अदालत ने इस मामले को 3 जजों की बेंच के पास भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से खारिज नहीं किया जा सकता कि लोकतंत्र में असली शक्ति मतदाताओं के पास होती है।

बता दें कि तीन जजों की पीठ 2013 के सुब्रामणियम बालाजी के फैसले पर भी पुनर्विचार कर सकती है। बता दें कि 2013 के उस फैसले में दो जजों की पीठ ने मुफ्त उपहार देने को करेप्ट प्रैक्टिस नही बताया था।

अश्विनी कुमार की याचिका पर आया फैसला:

सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने देश की सर्वोच्च अदालत में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने के वादे के खिलाफ याचिका दायर की थी। इस याचिका पर अदालत ने कहा कि ‘फ्रीबीज’ टैक्सपेयर का महत्वपूर्ण धन खर्च किया जाता है। हालांकि सभी योजना पर खर्च फ्रीबीज नहीं होते। यह मसला विस्तृत चर्चा का है और इसपर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।

सीजेआई एनवी रमना ने कहा, “मुफ्त उपहारों के वादों के चलते गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। इससे राज्य दिवालिया होने की तरफ जा सकता है। पार्टियां की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इस तरह के वादे होते हैं। इसकी वजह से असली समस्याएं कम होने में मुश्किलें आती हैं।”

सीएम योगी को राहत:

वहीं सर्वोच्च अदालत ने 2007 के गोरखपुर दंगों के मामले में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने की याचिका को खारिज कर दिया है। वहीं इससे पहले मई 2017 में यूपी सरकार ने मुकदमे में नाकाफी सबूत के चलते मामला चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया था।

इस मामले योगी सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी अदालत में पेश हुए। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच में हुई। रोहतगी ने अदालत में कहा कि इसमें अब कुछ भी नहीं बचा है। सीडी को सीएफएसएल को भेजा गया था, जांच में छेड़छाड़ का पता चला था।

रोहतगी ने कहा कि सीएफएसएल रिपोर्ट को देखते हुए हाई कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। याचिका दाखिल करने को लेकर उन्होंने कहा कि आप 15 साल बाद अब एक मरे हुए घोड़े की पिटाई नहीं कर सकते।