Satyapal Malik: जम्मू-कश्मीर, बिहार, मेघालय और गोवा के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का बुधवार (6 अगस्त) को दिल्ली में अंतिम संस्कार हुआ। सत्यपाल मलिक के पास कुछ समय के लिए ओडिशा का भी अतिरिक्त प्रभार रहा। उनका 5 अगस्त को दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार में केन्द्र के सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़े किसी दिग्गज नेता के न पहुँचने को लेकर सोशल मीडिया में चर्चा होने लगी। सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार में मौजूद रहे उनके एक समर्थक ने जनसत्ता से बातचीत में कहा, ‘ पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का न तो राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और न ही बीजेपी का कोई बड़ा नेता मौजूद था।’

कौन थे सत्यपाल मलिक?

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ। उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान स्नातक और LLB की डिग्री हासिल की। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में की। 1974-77 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और 1980 से 1989 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1989 से 1991 तक वह जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से 9वीं लोकसभा के सांसद रहे।

मलिक के कार्यकाल में खत्म हुई धारा 370

सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। इसके बाद वह बिहार और मेघालय के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक और किरू हाइड्रोपावर परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खुलकर बात की थी, जिसके कारण वह विवादों में भी रहे। वह भाजपा के बाद में प्रमुख आलोचक हो गए थे।

पीएम मोदी ने जताया था दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सत्यपाल मलिक के निधन पर दुख जताया था। पीएम मोदी ने X पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘सत्यपाल मलिक जी के निधन से दुखी हूं। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति।’

मैं रहूं, न रहूं पर मैं सच बताना चाहता हूं- मलिक

सत्यपाल मलिक 11 मई को किडनी की बीमारी के इलाज के लिए आरएमएल अस्पताल में भर्ती हुए थे। कुछ दिन पहले ही सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कही थी। सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैं रहूं या न रहूं पर मैं सच बताना चाहता हूं। उन्होंने ये भी आरोप लगाए थे कि उन्हें सरकार किसी तरह से फंसाने में लगी हुई है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया था कि उनके पास धन दौलत होती तो वो प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते।

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मलिक ने केंद्र पर लगाया था सीबीआई का डर दिखाने का आरोप

मलिक ने केंद्र सरकार पर लगाया था सीबीआई का डर दिखाने का आरोप पूर्व राज्यपाल के एक्स हैंडल के पोस्ट में ये भी लिखा था कि ‘सरकार मुझे सीबीआई का डर दिखाकर झूठे चार्जशीट में फंसाने के बहाने ढूंढ रही है, जिस मामले में मुझे फंसाना चाहते हैं उस टेंडर को मैंने खुद निरस्त किया था, मैंने खुद प्रधानमंत्री जी को बताया था इस मामले में करप्शन है और उन्हें बताने के बाद में मैंने खुद उस टेंडर को कैंसिल किया, मेरा तबादला होने के बाद में किसी अन्य के हस्ताक्षर से यह टेंडर हुआ।

उन्होंने आगे कहा था कि मैं सरकार को और सरकारी एजेंसियों को बताना चाहता हूं कि मैं किसान कौम से हूं, मैं ना तो डरने वाला हूं ओर ना ही झूकने वाला हूं। सरकार ने मुझे बदनाम करने में पुरी ताकत लगा दी, अंत में मेरा सरकार से और सरकारी एजेंसियों से अनुरोध है कि मेरे प्यारे देश की जनता को सच्चाई जरूर बताना कि आपको छानबीन में मेरे पास मिला क्या? हालांकि सच्चाई तो यह है कि 50 साल से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में बहुत बड़े-बड़े पदों पर देशसेवा करने का मौका मिलने के बाद आज़ भी मैं एक कमरे के मकान में रह रहा हूं और कर्ज में भी हूं। अगर आज मेरे पास धन दौलत होती तो मैं प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाता। सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन के बाद मोदी सरकार से बगावत कर दी थी। पढ़ें…पूरी खबर।