अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में लगे इंजीनियरों का कहना है कि खंभों पर मंदिर खड़ा करने की जगह अब इसे सीमेंट की परतों से बनी नींव पर खड़ा किया जाएगा। सीमेंट की बनी ये नींव जमीन में 35 से 40 फीट तक गहरी रहेगी। सूत्रों ने बताया कि इंजीनियरों को मंदिर निर्माण में तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें मिट्टी की पकड़ मजबूत न होना, मंदिर निर्माण के स्थान के नजदीक सरयू नदी का बहना और जमीन के नीचे नदियों का बहना शामिल हैं।
शुरू में इंजीनियर चाहते थे कि मंदिर को खंभों पर खड़ा किया जाए। खंभों की ऊंचाई तीन मंजिला इमारत के जितनी रखना तय किया गया था लेकिन जब परीक्षण किया गया तो व्यावहारिक रूप से ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं दिखा। साथ ही साथ भूकंप से जुड़े परीक्षण में भी ये योजना विफल रही। इसे देखते हुए, आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-गुवाहाटी और आईआईटी-मद्रास के विशेषज्ञों के साथ-साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, टाटा, लेसन और टुब्रो के विशेषज्ञों के साथ एक समिति बनाई गई।
समिति ने उन मुद्दों पर चर्चा की जिसके बाद नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई), हैदराबाद के विशेषज्ञों की राय ली गई। एनजीआरआई टीम ने विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया और आखिरकार यह तय किया गया कि खंभे के बजाय, लगभग 10,000 वर्ग फीट की नींव तैयार की जाएगी। लगभग 35-40 फीट की गहराई तक मिट्टी और अन्य मलबे को साफ किया जाएगा। इसे सीमेंट और कंक्रीट की परतों से भरा जाएगा। इसके बाद इस पर मंदिर संरचना खड़ी की जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि सीमेंट-कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाएगा लेकिन इसमें स्टील का इस्तेमाल नहीं होगा। स्टील ज्यादा समय तक नहीं चलता है जबकि कंक्रीट ज्यादा समय तक चलता है। इसके अलावा मंदिर की संरचना में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थर भी ज्यादा समय तक चलेंगे। उन्होंने कहा कि कंक्रीट में सीमेंट का अनुपात न्यूनतम तक रखा जाएगा और फ्लाई ऐश और सिलिका ज्यादा इस्तेमाल में लाए जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि इस साल जनवरी में मलबा निकाला जाना शुरू किया जा चुका था। इस हफ्ते ये काम पूरा हो जाएगा।