उद्धव ठाकरे की शिवसेना के दो नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इस पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ऐसे लोगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने मनीषा कायंदे के पार्टी छोड़ने पर यह बयान दिया है। मनीषा कायंदे शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता रही हैं।

पत्रकारों ने मनीषा कायंदे के पार्टी छोड़ने पर संजय राउत से सवाल किया कि इससे पार्टी पर क्या फर्क पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि क्या फर्क पड़ेगा। कहां से आई मालूम नहीं, कहां गई मालूम नहीं। उसको पार्टी में कौन लेकर आया मुझे नहीं पता और किसने एमएलसी बनाने को कहा मुझे मालूम नहीं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग आते हैं और चले जाते हैं। मैं उसको कचरा कहता हूं। हवा आती है तो कचरा उड़ जाता है। हम ऐसे लोगों को मानते नहीं हैं। मैं पार्टी का एक वफादार सिपाही हूं। ऐसे आने-जाने वाले लोग होते हैं ना, उनसे मेरा रिश्ता ज्यादा रहता नहीं है।

मनीषा कायंदे कल शिवसेना (यूबीटी) छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गई थीं। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर मनीषा कायंदे को प्रवक्ता के पद से हटा दिया था। शिवसेना में शामिल होने के बाद मनीषा ने कहा कि मैं इसे शिंदे गुट नहीं कहूंगी, यह शिवसेना है, जिसे बालासाहेब ठाकरे ने बनाया था। शिवसेना अब आधिकारिक रूप से एकनाथ शिंदे के पास है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए कोई बदलाव नहीं है, सिर्फ नेतृत्व का बदलाव है। मनीषा कायंदे ने कहा कि वह आलोचनाओं की जगह कुछ संरचनात्मक और संगठनात्मक काम करना चाहती थीं। इसलिए मैंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व को स्वीकार किया।

कायंदे ने दावा किया कि उन्होंने एक साल तक इस बात का इंतजार किया कि क्या ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट इस बात पर आत्मविश्लेषण करेगा कि कार्यकर्ता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं। कायंदे को शिवसेना का सचिव और प्रवक्ता बनाया गया था। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के एजेंडे का प्रचार करने के लिए शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत और पार्टी नेता सुषमा अंधारे का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधा। कायंदे ने कहा कि जो लोग हर दिन दूसरों की आलोचना करते हैं कांग्रेस और एनसीपी के एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं और हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ बोलते हैं वे शिवसेना का चेहरा नहीं हो सकते।

कायंदे के शिवसेना में शामिल होने के कुछ घंटे पहले शिवसेना (यूबीटी) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया था। हालांकि, उन्हें अपनी मूल पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया। कायंदे ने कहा कि वह किसी भी पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं हैं।