पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में पीड़ितों से मिलने और वहां मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जा रही सिविल सोसाइटी की फैक्ट्स फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों को रविवार को पुलिस ने आगे बढ़ने से रोक दिया। संदेशखाली से करीब 70 किमी पहले दक्षिण 24 परगना जिले के भोजेरहाट से आगे नहीं जाने देने पर टीम के सदस्य वहीं पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिए। बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस बोली- शांति भंग की आशंका में की ऐहतियातन गिरफ्तारी

कोलकाता पुलिस के भांगर डिवीजन के डिप्टी कमिश्नर सैकत घोष ने मीडिया से कहा, “हम उनसे अनुरोध कर रहे थे कि वे यहां से न गुजरें लेकिन वे गैरकानूनी तरीके से पुलिस बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए हमें उन्हें ऐहतियातन धाराओं के तहत गिरफ्तार करना पड़ा… अगर ‘शांति भंग’ करने का पता चलता है तो पुलिस के पास उन्हें ऐहतियातन धाराओं के तहत गिरफ्तार करने का अधिकार है।”

टीम की सदस्य ने कहा- पुलिस पीड़ितों से मिलने नहीं दे रही है

इससे पहले फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी की सदस्य चारू वली खन्ना ने आरोप लगाया कि सरकार हमें पीड़ितों से नहीं मिलने देना चाहती है। उन्होंने कहा, “हम संदेशखाली जा रहे थे, लेकिन उन्होंने हमें रोक दिया… पुलिस ने जानबूझकर हमें रोका है और आम लोगों के लिए समस्याएं पैदा कर रही हैं। पुलिस हमें संदेशखाली के पीड़ितों से मिलने नहीं दे रही है…”

संदेशखाली जा रही सिविल सोसायटी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में पटना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी, पूर्व आईपीएस अधिकारी राज पाल सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य चारू वली खन्ना, एडवोकेट ओपी व्यास, भावना बजाज और सीनियर जर्नलिस्ट संजीव नायक शामिल हैं।

आयशा पर TMC नेता के पोल्ट्री फर्मों को जलाने का आरोप

उधर, पुलिस ने रविवार को आईएसएफ नेता आयशा बीबी को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके से गिरफ्तार कर लिया। उन पर स्थानीय टीएमसी नेता शिबाप्रसाद हाजरा की पोल्ट्री फर्मों को जलाने में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, “हमने संदेशखाली में एक आंदोलन के दौरान संपत्ति को जलाने में उनकी मिलीभगत पाई है। उन्होंने कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले ली है, जिसे मंजूर नहीं किया जाएगा।” इस मामले में कुछ ग्रामीणों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। उन पर तोड़फोड़ करने का आरोप है। हालांकि, पुलिस ने यह नहीं साफ किया कि कितने ग्रामीणों को पकड़ा गया है।

फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के एक सदस्य नरसिम्हा रेड्डी कहते हैं, ”हम यहां बैठे थे लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें इससे भी दिक्कत है। अब हम राज्यपाल से मिलने का समय मांगेंगे और उन्हें स्थिति समझाएंगे। बाद में हम इस बारे में दिल्ली में गृह मंत्रालय से बात करेंगे…”

कमेटी की सदस्य चारू वली खन्ना कहते हैं, “पुलिस को जवाब देना चाहिए कि वे हमें हिरासत में लेने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? … जिस तरह से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार किए गए हैं, मुझे आश्चर्य है कि पुलिस ने उनके साथ क्या किया होगा? पुलिस हमें रोकने के लिए कोई कारण नहीं बता रही है, वे बस वही कर रहे हैं जो उन्हें करने के लिए कहा गया है…”

कमेटी के एक अन्य सदस्य ओपी व्यास ने कहा, ”हम यहां शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए बैठे हैं क्योंकि उन्होंने हमें अवैध रूप से रोका है, जो हमारे अधिकारों के खिलाफ है। हम इसकी शिकायत सीएम, राज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री से करेंगे। और यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी। रामनवमी के दौरान भी उन्होंने ऐसा ही किया और हमें रोका, क्योंकि वे कुछ छिपा रहे थे… मुझे समझ नहीं आ रहा है कि यह राज्य सरकार दुनिया के सामने किस तरह की तस्वीर पेश करना चाहती है… राज्य में संवैधानिक मशीनरी ध्वस्त हो गई है। दुर्भाग्य से पुलिस अवैध आदेशों को क्रियान्वित कर रही है और कानून को हाथ में ले रही है। हम संदेशखाली के पीड़ितों से मिलना चाहते हैं…”