Sanatana Dharma Row: बेंगलुरू की एक स्पेशल कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को जमानत दे दी। स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। जिसके बाद पूरे देश में उनका काफी विरोध हुआ था।
विशेष मजिस्ट्रेट केएन शिवकुमार ने स्टालिन को जमानत के तौर पर 5,000 रुपये नकद और 50,000 रुपये का निजी मुचलका जमा करने का निर्देश दिया।
स्टालिन वर्तमान में अपनी इस टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में मुकदमों का सामना कर रहे हैं। उदयनिधि स्टालिन ने कहा था, ‘जिस तरह डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना वायरस को मिटाने की जरूरत है, उसी तरह हमें सनातन धर्म को भी मिटाना होगा।”
उदयनिधि ने यह टिप्पणी सितंबर 2023 में चेन्नई में तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक कलाकार संघ द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दौरान की। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्टालिन की याचिका पर कई राज्य सरकारों और शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी किया था। जिसमें उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ जोड़ने और एक ही एफआईआर के तौर पर मुकदमा चलाने की मांग की थी।
भाषण के कुछ दिनों बाद 14 सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के न्यायाधीशों सहित 262 लोगों ने एक पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय से स्टालिन के विवादास्पद टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का आग्रह किया था। इसके कुछ सप्ताह बाद स्टालिन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।
इस बीच, बेंगलुरु की एक ट्रायल कोर्ट ने स्टालिन के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। जम्मू की एक कोर्ट ने भी एक वादी द्वारा आपराधिक शिकायत दर्ज कराने के बाद जांच के आदेश दिए।
मद्रास हाई कोर्ट में भी स्टालिन को मंत्री पद से हटाने के लिए याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट के समक्ष स्टालिन ने कहा कि उनका बयान हिंदू धर्म या हिंदू जीवन पद्धति के खिलाफ नहीं था , बल्कि यह केवल जाति-आधारित भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करने का आह्वान था।
हाई कोर्ट ने बाद में स्टालिन को उनके पद से हटाने के लिए कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया, लेकिन उनकी टिप्पणियों के लिए उनकी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि टिप्पणियां विभाजनकारी और संवैधानिक सिद्धातों के विरुद्ध थीं।