Samyukta kisan Morcha: किसान आंदोलन की दूसरी सालगिरह पर संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर केंद्रीय मंत्री टेनी समेत किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर 26 नवंबर को राजभवन के लिए मार्च करेगा।
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल, हन्नान मोल्लाह, युधवीर सिंह, अविक साहा और अशोक धवले सहित एसकेएम नेताओं ने देश के सभी किसानों से मार्च निकालने का आह्वान किया। कई अन्य मांगों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने के लिए कहा है, जिसे 50 प्रतिशत के लाभ मार्जिन पर निर्धारित किया जाना चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के प्रति निराशा जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि नौ दिसंबर को आंदोलन खत्म होने के दिन केंद्र सरकार किसानों से लिखित में किए गए सभी वादों से मुकर गई है। एसकेएम ने दावा किया कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कमेटी का गठन हुआ न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए गए।
इस दौरान किसानों ने लखीमपुर किसानों और पत्रकारों की मौत मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी मांग की। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को फसल के नुकसान की जल्द से जल्द भरपाई के लिए एक व्यापक और प्रभावी फसल बीमा योजना, सभी सीमांत, छोटे और मध्यम स्तर के किसानों और कृषि श्रमिकों को 5,000 रुपये प्रति माह की पेंशन और सभी झूठे मामलों को वापस लेने की भी मांग की।
14 नवंबर, 2022 को रकाबगंज गुरुद्वारा में किसानों ने की थी बैठक
किसान नेताओं ने इसके साथ ही किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे की मांग की। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने 14 नवंबर 2022 को नई दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में एक बैठक की थी। जिसमें किसानों के साथ विश्वासघात करने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार की कड़ी निंदा की गई थी।
बता दें, 26 नवंबर 2020 को संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली में मार्च निकाला था, जो दुनिया का सबसे लंबा और बड़ा आंदोलन बन गया था। आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत भी हो गई थी।