संभल में हुई हिंसा के बाद बड़ी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती है। आमतौर पर संभल में हिंसा की घटनाएं शायद ही कभी आती हो। लेकिन इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस मामले में संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। जियाउर रहमान बर्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े मुस्लिम नेता और संभल से लोकसभा सांसद रहे शाफिकुर रहमान बर्क के पोते हैं। योगी सरकार में मंत्री नितिन अग्रवाल ने संभल विवाद को तुर्क और पठान के बीच विवाद कहकर हलचल तेज कर दी। शाफिकुर रहमान बर्क मुरादाबाद-संभल क्षेत्र में तुर्कों के सबसे बड़े नेता माने जाते थे।

तुर्क और पठान विवाद क्यों आया सामने?

नितिन अग्रवाल ने कहा कि संभल हिंसा सपा सांसद और सदर विधायक की आपसी वर्चस्व का नतीजा है। उन्होंने यहां तक दावा किया की गोली पुलिस की ओर से नहीं बल्कि सपा सांसद जिया उर रहमान के समर्थकों ने चलाई जो विधायक के समर्थकों को लग गई। संभल से लोकसभा सांसद जियाउर रहमान बर्क तुर्क बिरादरी से आते हैं जबकि संभल सदर विधानसभा सीट से सपा विधायक इकबाल महबूब पठान बिरादरी से आते हैं। दोनों के बीच राजनीतिक वर्चस्व भी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इकबाल महबूब का नाम सपा उम्मीदवार के लिए भी चल रहा था। हालांकि पार्टी ने जिया उर रहमान बर्क को टिकट दिया था।

तुर्क वोटों का है दबदबा

संभल, मुरादाबाद और आसपास के क्षेत्रों में बर्क परिवार का दबदबा है। या यूं कहें कि तुर्क राजनीति का दबदबा है। इसका सबसे बड़ा कारण तुर्क वोट है। संभल लोकसभा में ही करीब 2 लाख 70 हजार से अधिक तुर्क वोट है तो वहीं मुरादाबाद में भी करीब 2 लाख से अधिक वोट है। संभल और मुरादाबाद की राजनीति में शाफिकुर रहमान बर्क का नाम सबसे बड़ा था और वह दोनों ही लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए थे। संभल में तुर्कों ने अपनी राजनीतिक ताकत भी सपा को दिखा दी है।

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तुर्कों ने सपा को दिखाई थी ताकत

2009 के चुनाव में संभल लोकसभा सीट परिसीमन के बाद नई-नई बनी थी। इस सीट से यहां से समाजवादी पार्टी की ओर से मुलायम सिंह यादव ने इकबाल महमूद को उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद सपा के फैसले से तुर्क संगठन नाराज हो गए थे। तुर्क संगठनों ने शाफिकुर रहमान बर्क पर बीएसपी में शामिल होने का दबाव बनाया और टिकट लेने को कहा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मौके को देखते हुए शाफिकुर रहमान बर्क को टिकट दे दिया। इस चुनाव में सपा उम्मीदवार की करारी हार हुई और शाफिकुर रहमान बर्क चुनाव जीत गए। इस तरह से तुर्क राजनीति ने समाजवादी पार्टी को अपनी ताकत दिखा दी थी।

तुर्क संगठन चल रहे नाराज

संभल हिंसा मामले में जियाउर रहमान बर्क के खिलाफ एफआईआर से तुर्क संगठन भी नाराज चल रहे हैं। अब योगी सरकार के मंत्री ने पठान बनाम तुर्क विवाद भी सामने ला दिया है। माना जा रहा है कि इससे गैर तुर्क मुसलमान लामबंद होंगे। संभल में गैर तुर्क मुसलमान की आबादी करीब 6 लाख है। संभल मामले में सदर विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है। हालांकि तुर्क और पठान विवाद पर वह कहते हैं कि संभल के सभी लोग मेरा परिवार है। जो घटना हुई है वह दुखद है।

इस मामले में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद भी कूद पड़े हैं। उन्होंने भी कहा कि तुर्क और पठान के बीच विवाद के आरोप बेबुनियाद हैं। इमरान मसूद ने कहा कि गोली पुलिस ने मारी है। शाफिकुर रहमान बर्क के निधन के बाद मुरादाबाद और संभल की राजनीति में तुर्कों की राजनीति को झटका लगा है। इस बीच जियाउर रहमान बर्क आगे बढ़कर समुदाय को संबोधित करने की कोशिश तो कर रहे हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि आने वाले समय में वो कामयाब हो पाएंगे या नहीं? पढ़ें संभल हिंसा मामले में पुलिस की FIR में हुआ क्या बड़ा खुलासा