पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संभल ज़िला लगभग तीन दशकों से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। रविवार (24 नवंबर) की सुबह शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान पथराव और वाहनों में आगजनी के बाद से चर्चा में है। अब तक 4 लोगों की मौत हो गई है और कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। शाही जामा मस्जिद संभल विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां मुसलमानों की संख्या 65 फीसदी से ज़्यादा है। क्यों इस ज़िले को सपा का गढ़ कहा जाता है, यहां समझते हैं।

सपा का रहा है गढ़

संभल से सपा विधायक इकबाल महमूद 1996 से लगातार छह चुनावों से इस सीट पर जीतते आ रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने अब तक सिर्फ़ एक बार 1993 में यह सीट जीती थी, जब सपा दूसरे स्थान पर रही थी। 2007 से लेकर अब तक हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में भाजपा इस सीट पर दूसरे स्थान पर रही है।

यह सीट संभल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिसमें कुंदरकी, बिलारी, चंदौसी और असमोली विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों में से भाजपा ने केवल चंदौसी सीट जीती थी, जबकि बाकी तीन अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा ने जीती थीं। 

संभल लोकसभा से 35 वर्षीय जियाउर्रहमान बर्क सपा के सांसद हैं।  वह समाजवादी पार्टी के पूर्व दिग्गज दिवंगत नेता शफीकुर रहमान बर्क के पोते हैं, जिनका इस साल फरवरी में 94 साल की उम्र में निधन हो गया था। शफीकुर रहमान बर्क चार बार विधायक और पांच बार लोकसभा सांसद रहे। इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में जियाउर्रहमान बर्क ने भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 1.21 लाख से ज़्यादा वोटों से हराकर संभल सीट जीती थी। सांसद बनने के बाद उन्होंने कुंदरकी से विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जो मुरादाबाद ज़िले में आता है।

हालांकि, हाल ही में हुए उपचुनावों में अल्पसंख्यक समुदाय के दबदबे वाली कुंदरकी सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, जहां बीजेपी उम्मीदवार रामवीर सिंह ने सपा के मोहम्मद रिजवान को 1.44 लाख से अधिक मतों से हराया है। इससे पहले 1996 से यह सीट सपा या बसपा में से किसी एक के खाते में जाती रही है। हालांकि, हाल ही में हुए उपचुनावों में अल्पसंख्यक समुदाय के दबदबे वाली कुंदरकी सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, जहां बीजेपी उम्मीदवार रामवीर सिंह ने सपा के मोहम्मद रिजवान को 1.44 लाख से अधिक मतों से हराया है। इससे पहले 1996 से यह सीट सपा या बसपा में से किसी एक के खाते में जाती रही है।

सपा ने संभल लोकसभा सीट पर भी अपना दबदबा बनाए रखा है और 1998 से पांच बार जीत हासिल की है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव यहां से दो बार (1998 और 1999 में) सांसद चुने गए। जबकि उनके भाई राम गोपाल यादव ने 2004 में सीट जीती थी। बसपा ने दो बार यह सीट जीती है।  1996 में बसपा उम्मीदवार डी पी यादव चुने गए थे और 2009 में शफीकुर रहमान ने पार्टी के टिकट पर इस सीट को जीता था।

सपा सांसद जावेद अली खान ने उठाए सवाल, कहा- INDIA गठबंधन सिर्फ मीडिया में है या कहीं जमीन पर भी है?

भाजपा अब तक केवल एक बार (2014 में) ही संभल लोकसभा सीट जीत पाई है। यह मोदी लहर का समय कहा जाता है। जब मुस्लिम वोट सपा के शफीकुर रहमान और बसपा उम्मीदवार अकील उर रहमान खान के बीच बंट गए थे, जिसके रहते भाजपा के सत्यपाल सिंह ने 5,174 वोटों से सीट जीत ली थी। 2019 के चुनावों में शफीकुर रहमान ने वापसी करते हुए भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 1.74 लाख से अधिक मतों से हराया था। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्हें मायावती के नेतृत्व वाली बसपा का भी समर्थन मिला, जिसने तब सपा के साथ गठबंधन किया था।