Sambhal Mosque Row: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल मस्जिद विवाद में 25 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

शीर्ष अदालत मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में सम्भल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे के खिलाफ समिति की याचिका को खारिज कर दिया था और सर्वे के लिए सिविल अदालत के निर्देश को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायालय आयुक्त की नियुक्ति का आदेश और मुकदमा विचारणीय है।

मस्जिद समिति ने पिछले साल 19 नवंबर को सिविल जज के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें मुगलकालीन मस्जिद का सर्वे करने का निर्देश दिया गया था। सर्वे उसी दिन हुआ था। समिति ने दावा किया कि पिछले वर्ष 24 नवम्बर को किया गया दूसरा सर्वेक्षण अवैध था, क्योंकि सिविल न्यायालय ने कभी इसका आदेश नहीं दिया था।

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हिंदू पक्ष का दावा

हिंदू पक्ष का दावा है कि एक मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद को बनाया गया था। हिंदू पक्ष मस्जिद को हरिहर मंदिर बता रहा है। इससे पहले कुछ इसी तरह का दावा वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा के शाही ईदगाह और मध्य प्रदेश के धार के कमाल मौला मस्जिद को लेकर भी किया जा चुका है। इस तरह के दावे इन धार्मिक स्थानों के धार्मिक स्वरूप को बदलने की कोशिश है। किसी धार्मिक स्थान के धार्मिक स्वरूप को बदलने से 1991 का प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट रोकता है।

बता दें, संभल मस्जिद विवाद मुख्य रूप से संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण और उसके इतिहास से जुड़ा है, जिसमें यह दावा किया जाता है कि मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इस दावे के कारण 2024 में मस्जिद के सर्वे के दौरान भारी बवाल और हिंसा हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हुई और पुलिसकर्मी घायल हुए। इस विवाद में ऐतिहासिक सत्य, मुस्लिम और हिंदू समुदायों के दावों और कानूनी अदालतों की भूमिका शामिल है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। पढ़ें…पूरी खबर।