समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कहा है कि बीएसपी नेता मायावती की उन्हें कोई जरूरत नहीं है। उनको लेकर उनकी कोई रणनीति नहीं है। मुंबई में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A.की बैठक के बाद जब मीडिया ने उनसे कहा कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के नेता रामदास अठावले ने मायावती का एनडीए में स्वागत किया है तो वे भड़क उठे। पूछा, “कौन है रामदास अठावले?” उन्होंने कहा कि ये दोनों नेता हिंदुस्तान की राजनीति में अप्रासंगिक हो चुके हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में BSP ने SP के साथ किया था गठबंधन

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। उस समय बीएसपी को 10 और समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। बीएसपी का मानना है कि इस महागठबंधन से उन्हें नुकसान हुआ। अब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने हाल ही में बयान दिया कि उनकी पार्टी अकेले ही मैदान में उतरेगी।

मायावती ऐलान कर चुकी है कि न तो NDA में रहेंगी और न ही I.N.D.I.A. के साथ जाएंगी

पिछले 23 अगस्त को मायावती ने गठबंधन को लेकर सभी तरह के अटकलों को खारिज करते हुए यह साफ कर दिया था कि न तो उनकी पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए का हिस्सा होगी और न ही वह विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में ही जाएगी।

अभी चुनाव होने में कई महीने हैं, इसको लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मायावती के इस ऐलान के पीछे उनकी सियासी चाल हो सकती है। हालांकि कुछ अन्य लोगों का कहना है कि बीएसपी के अकेले चुनाव लड़ने से बीजेपी को फायदा मिल सकता है।

इस बीच राजनीति के कई दूसरे जानकारों ने मायावती के ऐलान पर आश्चर्य जताया है। उनका कहना है कि 2022 के यूपी विधानसभा के चुनाव में बीएसपी ने अकेले चुनाव लड़ा था और केवल एक सीट ही जीत सकी थी। ऐसे में वह किस भरोसे पर अकेले चुनाव जीतने का दावा कर रही हैं। उनका कहना है कि आज के हालात में जब विपक्ष एकजुट होने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है और भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए मजबूती से मैदान में डटा है तब बीएसपी का यह भरोसा आश्चर्यजनक है।