समाजवादी पार्टी (सपा) ने केंद्र सरकार पर मणिपुर के मुद्दे पर संवेदनहीनता दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ‘अहंकार’ में डूबी है। मंगलवार को सपा सांसद डिंपल यादव ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए उत्तर पूर्व राज्य में हिंसा की घटनाओं के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराया।
सपा सांसद ने कहा कि जब महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात होती है तो उत्तर प्रदेश की भी चर्चा होनी चाहिए। यादव ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में हर तीन घंटे में एक महिला का यौन उत्पीड़न होता है। उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना मामूली नहीं।
सपा सदस्य ने कहा कि मणिपुर के मुद्दे पर केंद्र सरकार का रवैया संवेदनाहीन है और वह अहंकार में डूबी है। उन्होंने इसे राज्य प्रायोजित हिंसा होने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिए और इस बारे में अपनी बात रखनी चाहिए। डिंपल यादव ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री का विशेष दायित्व था कि वह हिंसा को रोकें। आरोप लगाते हुए कहा कि अगर प्रदेश सरकार चाहती तो हिंसा को नियंत्रित किया जा सकता था, लेकिन ऐसी मंशा सही नहीं थी। उन्होंने भाजपा पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मणिपुर की घटनाओं के लिए भी वही जिम्मेदार है।
सपा सांसद ने कहा कि भाजपा बांटो, नफरत पैदा करो और राज करो की सियासत करती है। उन्होंने चीन के साथ सीमा पर गतिरोध की स्थिति पर भी सदन में चर्चा कराने की मांग की।
उधर, विपक्ष के कुछ नेताओं ने मंगलवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘राजधर्म’ वाली चर्चित टिप्पणी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और मणिपुर की हिंसा को लेकर उन पर ‘मौनव्रत’ का आरोप लगाया।
सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने याद दिलाया कि 2002 के सांप्रदायिक दंगों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौरा किया था। उन्होंने कहा, “उन्हें (प्रधानमंत्री मोदी को) मणिपुर पर बोलने में लगभग 80 दिन क्यों लग गए और (वह) केवल 30 सेकंड ही बोले… मंत्री कह रहे हैं कि वे बोलेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री के शब्दों की जो ताकत होती है उसका मुकाबला कोई मंत्री या सांसद नहीं कर सकता।’’