पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल पाकिस्तान की अपनी प्रस्तावित यात्रा से नाट्कीय नतीजों की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि पड़ोसी देश के साथ बातचीत के नई दिल्ली के पिछले अनुभव सकारात्मक नहीं रहे है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने पाकिस्तान के साथ फिर से बातचीत पर कहा, ‘‘हमारा हमेशा से यह मानना रहा है कि बातचीत के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, लेकिन वार्ता कैसे और किस तरीके से की जानी चाहिए, इसके लिए आपको सावधान रहना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पिछले अनुभव सकारात्मक नहीं रहे हैं, बहुत संतोषजनक नहीं रहे, लिहाजा हमें यकीन नहीं है कि इस बार भी कुछ बेहतर होगा। मेरे ख्याल से, हमें एहतियात बरतनी चाहिए, मैं नहीं समझता कि हमें जश्न मनाने की जरूरत है।’’

पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मैं नहीं समझता कि हमें जल्दबाजी में आकलन करना चाहिए लेकिन ऐहतियात बरतनी चाहिए और देखना चाहिए कि हमारे आगे बढ़ने के साथ साथ चीजें कैसा रूप लेती हैं।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या अगले साल मोदी की प्रस्तावित पाकिस्तान यात्रा से परिणाम मिलेंगे तो खुर्शीद ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता। अगर हमें पता हो कि हम किसलिए जा रहे हैं तो इससे कुछ नतीजे निकल सकते हैं। हमें समझना होगा कि पाकिस्तान में क्या हो रहा है। हमें पाकिस्तान में सेना की भूमिका को समझना होगा और (हमें) व्यावहारिक नजरिये के साथ जाना होगा, नाट्कीय तौर पर कुछ हो जाए इसकी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।’’

खुर्शीद ने कहा, ‘‘मोदी की आदत ड्रामा तलाश करने की। मैं नहीं समझता कि यह ड्रामे के माध्यम से हल हो सकता है। इसे सावधानी से, आराम से और ध्यान से तैयार करना चाहिए।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी इस्लामाबाद के साथ बातचीत बहाल करने के पक्ष में है तो उन्होंने व्यंग्यात्मक ढंग से कहा कि कांग्रेस मोदी के साथ वार्ता की बहाली के पक्ष में हैं।

खुर्शीद ने कहा, ‘‘वह (मोदी) हमसे बात नहीं करते हैं। वह जब तक हमसे बात नहीं करते, तो हमें नहीं पता कि वह पाकिस्तान से क्या बात करने जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनके काल में प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह सभी नेताओं को बुलाते थे और बताते थे कि उन्होंने क्या किया और वह क्या करना चाहते थे (पाकिस्तान के साथ रिश्तों की तुलना में)।

पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मोदी ऐसा नहीं करते हैं। लिहाजा जब तक मोदी अपने इरादे और क्या वह करना चाहते हैं इसे देश की जनता या विपक्ष के नेताओं के साथ साझा नहीं करते हैं, तबतक हम उनके प्रयासों का आकलन नहीं कर सकते हैं।’’

रूस के उफा में मोदी की उनके पाकिस्तानी समकक्ष के साथ बैठक के बाद, जारी किए गए संयुक्त बयान में जम्मू कश्मीर का जिक्र नहीं था। इस पर पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यह न यहां है न वहां है। एक तरीके से आप कह सकते हैं कि यह (भारत के लिए) हितकारी हो सकता है कि उन्होंने (पाकिस्तान ने) जम्मू कश्मीर के बारे में बात करना बंद कर दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अन्य तरीके से यह अहितकारी भी हो सकता है कि वे कह सकते हैं कि हम हर मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार हैं। लिहाजा हम जम्मू कश्मीर के बारे में भी बातचीत करेंगे।’’