पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब ‘Sunrise over Ayodhya’ से शुरू हुआ हंगामा राजनीतिक रंग ले चुका है। खुर्शीद ने इस किताब में हिंदुत्व की तुलना कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस और बोको हरम से की है। उल्लेखनीय है कि यह किताब बुधवार को लॉन्च हुई और चौबीस घंटे के अंदर इसके खिलाफ शिकायतें दर्ज हो गई हैं।

इसके पहले फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक कार्यक्रम में यह कहा था कि 1947 में देश को आजादी नहीं भीख मिली थी। असली स्वतंत्रता 2014 में मिली थी। उनके इस बयान के बाद से विपक्षी पार्टियों ने कंगना सहित सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को भी घेरना शुरू कर दिया था। कंगना का यह बयान पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद आया था।

इस बीच अक्टूबर 1986 में आई सलमान खुर्शीद की एक और किताब अचानक सुर्खियों में आ गई है। ‘एट होम इन इंडिया: अ रीस्टेटमेंट ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ नाम की किताब की पृष्ठ संख्या 114 को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

इस किताब में उन्होंने 1984 में हुए दंगों का उल्लेख भी किया है। उन्होंने लिखा था कि यह दंगे देश की एकता और अखंडता के विनाश का सूचक हैं। इससे भाईचारा खत्म हुआ और सर्वाधिक दुखदायी तो यह है कि दंगों से सभी धर्म के लोग प्रभावित होते हैं। इससे कोई भी समुदाय सुरक्षित नहीं रह पाता है।

इस किताब में उन्होंने लिखा था कि सिख समुदाय भारत में मुसलमानों के मुकाबले आबादी में केवल 1/10 ही था। फिर भी उनकी वजह से मुसलमानों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, जो अपने आप में एक सबक था।

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वहीं दूसरी ओर, बंटवारे का दुख झेल चुके कई मुसलमानों के लिए 84 के दंगों ने संतोष देने का काम भी किया था। उनका मानना था कि यह दंगे हिंदुओं और सिखों के पापों का फल है, जिसे वो भुगत रहे हैं। 1947 में बहा खून अब बदला ले रहा है। इन लोगों ने इंदिरा गांधी की हत्या से देश को हुए नुकसान की भरपाई की है। बकौल सलमान खुर्शीद, जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी से देश के मुसलमानों को काफी उम्मीदें थीं।

कांग्रेस पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने खुर्शीद की नई किताब में लिखी गई बातों को सही नहीं कहा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और जिहाद से करना सही नहीं है। उन्होंने लिखा कि हम राजनीतिक विचारधारा की राह पर चलते हैं।