छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का टीएस सिंह देव से 36 का आंकड़ा रहा है। विगत में टीएस सीएम बघेल के खिलाफ काफी मुखर भी रहे हैं। माना जा रहा था कि दोनों के बीच की तनातनी असेंबली चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है। लेकिन हाईकमान ने टीएस को छत्तीसगढ़ से डिप्टी सीएम की कमान सौंपकर विवाद को जड़ से ही खत्म कर दिया। हालांकि राजस्थान में चल रहा संघर्ष अभी भी खत्म नहीं हो सका है।
उधर टीएस सिंह देव के डिप्टी सीएम बनने के बाद सचिन पायलट ने उनको बधाई दी तो राजनीतिक गुणा भाग लगाया जाने लगा। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हाईकमान कैसे सुलह करा पाएगा। राजस्थान के हालात भी काफी हद तक छत्तीसगढ़ की तरह से हैं। छत्तीसगढ़ में टीएस सिंह देव सरकार बनने के बाद से ही रोटेशनल सीएम बनाने की मांग करते आ रहे हैं। हालांकि उन्होंने अपनी नाराजगी लक्ष्मण रेखा में रहते हुए ही की। वो कभी भी इस हद तक नहीं गए जिससे भूपेश बघेल सरकार संकट में आ जाए।
राजस्थान में स्थिति थोड़ी सी अलग है। सचिन पायलट सीएम की कुर्सी पर काबिज होने के लिए 2020 में बगावत भी कर चुके हैं। ये बात अलग है कि हाइकमान के दखल और गहलोत की चाणक्य नीति के आगे पायलट बेबस हो गए और उनके फिर से वापस कांग्रेस में ही लौटना पड़ गया। उसके बाद से समर्थक सचिन को डिप्टी सीएम या फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन आलाकमान चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहा है। अशोक गहलोत सचिन से इस कदर चिढ़ते हैं कि वो उन्हें निकम्मा और नालायक तक के विशेषणों से नवाज चुके हैं।
श्री टी. एस. सिंह देव जी को छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।@TS_SinghDeo pic.twitter.com/lSbnD3GJ9j
— Sachin Pilot (@SachinPilot) June 28, 2023
खड़गे से मिलने पहुंचे गोविंद सिंह डोटेसरा
टीएस सिंह देव की डिप्टी सीएम के पद पर ताजपोशी के बाद राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटेसरा दिल्ली आकर मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले। मीटिंग में राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी एसएस रंधावा भी मौजूद थे। हालांकि मीटिंग का क्या नतीजा निकला ये पता नहीं चल सका लेकिन जानकारों का मानना है कि डोटेसरा ने राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच चल रही रस्साकसी को लेकर भी खड़गे से चर्चा की।
ध्यान रहे कि बीते साल गांधी परिवार ने गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में खड़ा करने का मन बनाया था। उनकी कुर्सी सचिन पायलट को मिलने की संभावना थी। लेकिन गहलोत ने ऐन मौके पर दांव खेला और इस्तीफों की धमकी दे डाली। उसके बाद उनकी जगह खड़गे को प्रत्याशी बनाया गया।