विदेश मंत्री एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गैर स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने के बाद अपने पहले पाँच दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हैं। विदेश मंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व एनएसए एच. आर. मैकमास्टर के साथ बातचीत के दौरान कहा कि भारत की मौजूदा सरकार को फेल बताने के लिए राजनीतिक प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने आगे कहा कि जो राजनीतिक कल्पना की जा रही है उसे भारत में वास्तविक शासन बिल्कुल उलट है।
विदेश मंत्री ने कहा कि यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को गलत तरीके से दिखाए जाने के कई राजनीतिक हथकंडे अपनाये जा रहे है। मैं इसे एक राजनीतिक प्रयास के तौर पर ही देखता हूं।आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब विदेश मंत्री ने मोदी सरकार के आलोचकों का जवाब दिया है। एक बार विदेश मंत्री ने एक अमेरिकी समाचार पत्र की रिपोर्ट कि आलोचना करते हुए कहा था केवल विपक्ष ही नहीं ,बल्कि पश्चिमी मीडिया भी COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई की बहुत आलोचना करता है।
कुछ दिन उन्होंने पहले फ़्रीडम हाउस की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा था कि इस रिपोर्ट में लोकतंत्र और निरंकुश शासन का ज़िक्र किया गया, पर ये डेमोक्रेसी या ऑटोक्रेसी की बात नहीं, बल्कि ये हिपोक्रेसी है। ये वो लोग हैं जिनके हिसाब से चीज़ें नहीं होतीं, तो उनके पेट में दर्द होने लगता है। दरअसल फ़्रीडम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत का संविधान नागरिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। जिसमें अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक आज़ादी शामिल हैं, लेकिन, पत्रकारों, ग़ैर-सरकारी संगठनों और सरकार की आलोचना करने वाले अन्य लोगों को परेशान किए जाने की घटनाओं में मोदी शासन में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है।
वही विदेश मंत्री ने अमेरिका के पूर्व एनएसए एचआर मैकमास्टर के साथ बातचीत में पाकिस्तान को लेकर कहा कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकती है। उन्होंने यह भी कहा है कि दोनों पड़ोसी देशों को बड़े मसलों पर आखिरकार रास्ता निकालना ही होगा।
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आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत के COVID-19 आंकड़े पर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट साझा करते हुए कहा हुए ट्वीट किया कि , नंबर झूठ नहीं बोलते … भारत सरकार ऐसा करता है। राहुल गांधी के ट्ववीट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पलवटवर करते हुए कहा करते हुए कहा कि लाशों पर राजनीति, कांग्रेस स्टाइल ! पेड़ों पर से गिद्ध भले ही लुप्त हो रहे हों, लेकिन लगता है उनकी ऊर्जा धरती के गिद्धों में समाहित हो रही है। राहुल गाँधी जी को दिल्ली से अधिक न्यूवॉर्क पर भरोसा है। लाशों पर राजनीति करना कोई धरती के गिद्धों से सीखे।