S-400 Missile System: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। क्योंकि भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी स्थलों पर सटीक हमले किए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के लॉन्च दोनों देशों के बीच स्थिति और बिगड़ गई है। भारत ने कहा कि उसने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिशों को विफल कर दिया है। निष्क्रिय कर दिया।
भारत ने हाल के वर्षों में अपनी हवाई मारक क्षमता में कई गुना वृद्धि की है। भारत के अत्याधुनित हथियारो में से एक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है। जिसे भारतीय सेना में सुदर्शन चक्र के नाम से जाना जाता है।
S-400 सुदर्शन चक्र क्या है?
S-400 रूस के अल्माज़ सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा विकसित एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। यह दुनिया की सबसे उन्नत एयर डिफेंस में से एक है, जो ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित विभिन्न हवाई खतरों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उनसे निपटने में सक्षम है।
प्रत्येक S-400 स्क्वाड्रन में दो बैटरियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक में छह लांचर, एक कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम, निगरानी रडार और एंगेजमेंट रडार लगे होते हैं। प्रत्येक बैटरी 128 मिसाइलों तक का सहयोग कर सकती है।
साल 2018 में भारत ने रूस से एस-400 सिस्टम के पांच स्क्वाड्रन खरीदने के लिए 35,000 करोड़ रुपये (लगभग $5.4 बिलियन) का सौदा किया था। तीन स्क्वाड्रन वर्तमान में चालू हैं, और शेष दो 2026 तक चालू होने की उम्मीद है।
S-400 सिस्टम क्या करने में सक्षम है?
S-400 400 किलोमीटर तक की दूरी और 30 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर हवाई खतरों से निपट सकता है। यह अलग-अलग खतरों की दूरी को कवर करने के लिए चार प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है-
- कम दूरी: 40 किमी. तक
- मध्यम दूरी: 120 किमी. तक
- लंबी दूरी: 250 किमी. तक
- बहुत लंबी दूरी: 400 किमी. तक
यह सिस्टम 160 टॉरगेट को ट्रैक कर सकता है और एक साथ 72 टॉरगेट को निशाना बना सकता है। यह चरणबद्ध तरीक से रडार और इलेक्ट्रॉनिक से लैस है, जिससे यह युद्ध में प्रभावी ढंग से काम कर सकता है।
इससे पहले भारतीय वायुसेना के अभ्यासों में एस-400 सिस्टम ने उच्च प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया था, तथा कथित तौर पर इसने नकली दुश्मन विमान के 80 प्रतिशत हिस्से को निष्क्रिय कर दिया था।
अन्य किन देशों के पास S-400 मिसाइल सिस्टम है?
S-400 सिस्टम को रूस ने बनाया है। चीन इसका पहला विदेशी खरीदार था। जिसने 2014 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और 2018 तक इसको हासिल कर लिया।
तुर्किये ने 2017 में इस सिस्टम को खरीदा था, जिसके कारण उसके नाटो सहयोगियों के साथ टकराव उत्पन्न हो गया था।
अल्जीरिया ने कथित तौर पर S-400 हासिल कर लिया है और उसे तैनात कर दिया है, हालांकि इसके बारे में विस्तृत जानकारी अभी भी उपलब्ध नहीं है। बेलारूस को रूस से भी इकाइयां प्राप्त हुईं, जिनमें से कुछ का प्रबंधन सीधे रूसी कार्मिकों द्वारा किया गया।
एस-400 सिस्टम को सीरिया में भी तैनात किया गया था, लेकिन इसे देश की सेना द्वारा संचालित नहीं किया गया था। रूस ने तुर्की सेना द्वारा रूसी Su-24 बमवर्षक को मार गिराए जाने के बाद 2015 के अंत में लताकिया में अपने खमीमिम एयर बेस पर एस-400 को तैनात किया था।
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