जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की अपहरणकर्ताओं के रूप में पहचान की है।
रुबैया सईद का 8 दिसंबर, 1989 को लाल डेड अस्पताल के पास अपहरण कर लिया गया था। रुबैया को छोड़ने के लिए केंद्र में बीजेपी समर्थित तत्कालीन वीपी सिंह सरकार से 5 आतंकियों को छोड़ने की मांग की गई थी। पांच आतंकवादियों को रिहा करने के पांच दिन बाद रुबैया को रिहा कर दिया गया था।
रुबैया सईद शुक्रवार (15 जुलाई, 2022) को एक विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत के समक्ष पेश हुईं। सीबीआई ने 1990 में इस मामले की जांच शुरू की थी। तब से यह पहली बार था जब रुबैया सईद को मामले के संबंध में अदालत के सामने पेश होने के लिए कहा गया था।
कोर्ट में क्या हुआ?
रुबैया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में मौजूद यासीन मलिक की पहचान अपहरणकर्ता के तौर पर की। रूबैया ने न्यायाधीश से कहा, “यह वही व्यक्ति है और इसका नाम यासीन मलिक है। ये वह व्यक्ति था जिसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसके आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया तो वह मुझे मिनीबस से बाहर खींच लेगा।” उसने अदालत में प्रदर्शित तस्वीरों के माध्यम से भी यासीन मलिक की पहचान की।
बता दें कि यासीन मलिक आतंकवादियों को फंडिंग करने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। हाल ही में उसे यह सजा सुनाई गई है। मामले में सीबीआई द्वारा आरोपित अन्य लोगों में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद गंद्रू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी शामिल हैं।
वहीं, यासीन मलिक के ऊपर और बड़ी घटना को अंजाम देने के आरोप में भी मुकदमा चल रहा है। यह जनवरी, 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में हुए आतंकी हमले से संबंधत है। इसमें वायुसेना कर्मचारियों पर आतंकवादियों द्वारा गोलिबारी की गई थी, जिसमें एक महिला समेत 40 लोगों को गंभीर चोटें आई थीं और सेना के 4 जवान भी शहीद हुए थे।