सूचना अधिकार से जुड़े एक कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष आरोप लगाया है कि उसका पंजीयक जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण ढंग से और लगातार दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश का पालन नहीं कर रहा है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत पर तेजी से फैसला करने को कहा गया है।

आर के जैन ने फरवरी 2014 में केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी के बारे में दायर उनकी आरटीआइ याचिका का जवाब नहीं दिया गया और इसलिए सोनिया गांधी के खिलाफ दंडात्मक प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आयोग की पूर्ण पीठ के आदेश का उल्लंघन हैं जिसमें कांग्रेस समेत पांच अन्य राष्ट्रीय दलों- भाजपा, भाकपा, माकपा, राकांपा और बसपा- को सार्वजनिक प्राधिकार बताया गया था और इन्हें आरटीआइ कानून के तहत जवाबदेह बताया गया था। सुनवाई नहीं होने पर जैन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने अगस्त 2014 में आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर तेजी से और छह महीने की अवधि के भीतर विचार किया जाए।

जैन ने अब आयोग का दरवाजा खटखटाया है और यह शिकायत की है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी पंजीयक एम के शर्मा ने आयोग की ओर से कोई तिथि तय नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजीयक के तौर पर आप दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय का पालन करने की दिशा में कदम उठाने में विफल रहे हैं। अवमानना याचिका दायर करने की धमकी देते हुए जैन ने आरोप लगाया कि पंजीयक ने जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण ढंग से लगातार दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया और सुनवाई की तिथि तय नहीं की