कुछ दिन बाद होने जा रहे लोकसभा के चुनावों में बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा होने की संभावना है। इसको लेकर संघ परिवार “नौकरी की तलाश” की परिभाषा को बदलने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। अब संघ परिवार पिछले दो वर्षों से इसमें स्व-रोजगार पर फोकस करने और उस दिशा में युवाओं की मदद करने के काम में जुट गया है।
12 जनवरी 2022 को सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के ठीक बाद आरएसएस ने अपनी आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच (SJM) के नेतृत्व में युवाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने के प्रयास के तहत अपना स्वयं का स्वावलंबी भारत अभियान शुरू किया।
दो साल में सहयोगी संगठनों ने 4,413 कार्यक्रम आयोजित किए
पिछले दो वर्षों में, एसजेएम और आरएसएस से जुड़े अन्य संगठनों ने 511 जिलों में 4,413 कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिसमें 82,000 से अधिक युवाओं की भागीदारी तय की गई है, 400 औद्योगिक इकाइयों को शामिल किया गया है और 3,938 उद्यमियों को सम्मानित किया गया है। इसने अब 448 जिला रोजगार केंद्र (DEC) भी खोले हैं, जो युवाओं को उनके व्यवसाय के लिए धन जुटाने, जरूरी प्रशिक्षण की व्यवस्था करने, कानूनी सलाह प्रदान करने और सरकारी मंजूरी की व्यवस्था कराने में मदद करते हैं।
जरूरी नौकरियों को न तो सरकार पूरी कर सकती है न ही कंपनियां
एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने बताया, “इस देश को आत्मनिर्भर बनाने और बेरोजगारी को खत्म करने के लिए हमें नौकरी खोजने की मानसिकता और सोच को बदलना होगा। जवाहरलाल नेहरू की नीतियों के कारण लोग सरकारी नौकरियों के पीछे भागने लगे। फिर, वैश्वीकरण के कारण लोग बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multi National Companies) में नौकरियों के पीछे भागने लगे। लेकिन यह देखते हुए कि हर साल करोड़ों लोग नौकरी बाजार में आते हैं, न तो सरकार और न ही बहुराष्ट्रीय कंपनियां इतनी नौकरियां दे सकती हैं। इससे निपटने का एकमात्र तरीका उद्यमियों को तैयार करना है। भारत कभी उद्यमियों का देश था। हमें उस भारत का पुनर्निर्माण करना है, और यह केवल बड़े पैमाने पर समाज के सहयोग से ही हो सकता है।”
इसके हिस्से के रूप में, एसजेएम ने 2,701 हाई स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों, 1,555 संस्थानों और कॉलेजों और 155 विश्वविद्यालयों में उद्यमी विकास कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
महाजन कहते हैं, ”हम युवाओं को जोखिम लेने की क्षमता (Risk-taking Ability) विकसित करने में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके साथ युवा उद्यमियों (Entrepreneurs) की सफलता की कहानियां साझा कर रहे हैं। हम उन्हें टीवीएस कैपिटल जैसे निजी इक्विटी फंड, या सरकार के माध्यम से बैंक ऋण या मुद्रा ऋण के माध्यम से धन जुटाने में मदद कर रहे हैं। हम एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो इस उद्यमशीलता की प्रगति को बनाए रखेगा। हमने इसके लिए राजनेताओं से लेकर कॉरपोरेट तक सभी वर्गों को शामिल किया है।”
संघ के विभिन्न सहयोगी जैसे भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, लघु उद्योग भारती, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, सहकार भारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, राष्ट्रीय सेवा भारती, विद्या भारती, पर्यावरण गतिविधि, हिंदू जागरण मंच, भारतीय शिक्षण मंडल, दीनदयाल शोध संस्थान, विवेकानंद केंद्र, सक्षम, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ और क्रीड़ा भारती इस प्रयास का हिस्सा हैं।