श्यामलाल यादव, विवेक देशपांडे, नई दिल्ली/नागपुर
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘संघ शिक्षा वर्ग’ कार्यक्रम में आने के लिए न्योता दिया गया है। 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले मुखर्जी का लंबा राजनीतिक जीवन कांग्रेस पार्टी में बीता है। ऐसे में उनके संघ के कार्यक्रम में जाने पर सभी की नजरें हैं। बता दें कि ‘संघ शिक्षा वर्ग’ कार्यक्रम एक सालाना प्रशिक्षण कैंप है, जो संगठन के तीसरे वर्ष के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित किया जाता है।
आरएसएस प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के स्वयंसेवकों के लिए ट्रेनिंग कैंप आयोजित करता है। शुरुआती प्रथम वर्ष का कैंप 20 दिन तक चलने वाला कार्यक्रम है। यह सभी 42 प्रांतों में आयोजित होता है। शुरुआत में, अधिकतर नए लोग इन कैंपों में शामिल हो सकते थे। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद आरएसएस की तरफ लोगों का आकर्षण बढ़ा। इसकी वजह से अब इस कैंप में शामिल होने के लिए कुछ शर्तें रख दी गई हैं। जिला स्तर पर आवेदकों की लिस्ट से लोगों का चुनाव किया जाता है। वहीं, दूसरे साल का कैंप भी 20 दिन का होता है। यह क्षेत्रवार आयोजित होने वाले कार्यक्रम है। एक क्षेत्र में कई प्रांत शामिल हो सकते हैं। आरएसएस ने ऐसे 11 क्षेत्र बनाए हैं।
मुखर्जी को तीसरे वर्ष के कैंप में बुलाया गया है। यह कार्यक्रम नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय के स्मृति मंदिर के प्रांगण में आयोजित होता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक खास स्तर की ट्रेनिंग हासिल कर लेने वाले हर स्वयंसेवक के लिए यह अनिवार्य किया है कि वह संगठन के जन्मस्थल पर जरूर आए। यहां 25 दिवसीय कार्यक्रम चलता है। शुरुआत में यह 40 दिन का होता था, लेकिन बाद में इसे घटाते-घटाते 25 दिन का कर दिया गया। बता दें कि 2017 में प्रथम वर्ष के कैंपों में 5716 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया था। दूसरे वर्ष में 3,796 जबकि तृतीय वर्ष कैंप में 899 लोगों ने हिस्सा लिया था। इन कैंपों में शामिल होने वाले लोग अपने खर्च पर यात्रा करते हैं और शुल्क भी चुकाते हैं। कैंपों में सिखाने वाले प्रशिक्षकों का तृतीय वर्ष की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है। ये कैंप 18 साल से लेकर 45 साल तक के लोगों के लिए है। 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए अलग से कैंप आयोजित किए जाते हैं।
तृतीय वर्ष कैंप या ‘संघ शिक्षा वर्ग’ की शुरुआत आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार ने 1927 में की थी। यह संगठन के अस्तित्व में आने का तीसरा साल था। संघ शिक्षा वर्ग आरएसएस के दो सबसे महत्वपूर्ण सालाना कार्यक्रमों में से एक है। दूसरा अहम कार्यक्रम विजयदशमी उत्सव या स्थापना दिवस होता है। तृतीय वर्ष कैंप कभी ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप (OTC) कहलाता था। हालांकि, संगठन के दूसरे सरसंघचालक एमएस गोलवलकर ने इसका नाम बदलकर संघ शिक्षा वर्ग कर दिया। कुछ साल पहले तक, जो भी शख्स दो साल की ट्रेनिंग पूरी कर लेता था, वह नागपुर कैंप में जाने की योग्यता हासिल कर लेता था। हालांकि, बीते कुछ सालों में आरएसएस ने इस कार्यक्रम में आने वालों की संख्या सीमित कर दी है ताकि कैंप को बेहतर ढंग से आयोजित किया जा सके। इस कैंप में आने के लिए कुछ शर्तें रख दी गई हैं। मसलन- प्रांतों में जिम्मेदारी के पद पर कम से कम दो साल तक काम करना, भविष्य में दी गई जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार रहना आदि।
तृतीय वर्ष कैंप या ‘संघ शिक्षा वर्ग’ अप्रैल-मई में होने वाला 25 दिवसीय कार्यक्रम है। इस वक्त नागपुर में तापमान अक्सर 45 डिग्री के आसपास होता है। ट्रेनिंग और दिनचर्या बेहद मुश्किल होती है। स्वयंसेवकों को सुबह 4 बजे उठ जाना होता है। सोने का वक्त रात साढ़े 10 बजे होता है। दिन में लंच के बाद एक घंटे का ब्रेक मिलता है। आम तौर पर सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे फिजिकल ट्रेनिंग होती है। इसमें बिना हथियारों के लड़ना मसलन जूडो या कराटे की प्रैक्टिस कराई जाती है। लाठी से लड़ना भी सिखाया जाता है। हर रोज अलग-अलग समूहों की दो बैठकें होती हैं। इन समूहों को बनाने का आधार उम्र, शिक्षा, काम का क्षेत्र हो सकता है। इसके अलावा, स्वयंसेवकों की एक संयुक्त बैठक भी होती है, जिसे बौद्धिक कहा जाता है। कार्यक्रम के समापन में किसी भी क्षेत्र के मशहूर शख्सियत को मुख्य अतिथि बनाए जाने की परंपरा है। मुख्य अतिथि आखिरी दिन भाषण देता है। कार्यक्रम सरसंघचालक के भाषण से खत्म होता है।