राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अगले साल अपनी स्थापना के 100 वर्ष मनाएगा। इसके साथ आरएसएस की शताब्दी से पहले झंडेवालान में इसका नया मल्टी स्टोरी दफ्तर लगभग तैयार हैं। लेकिन इस बीच दिल्ली शहरी कला आयोग (Delhi Urban Arts Commission-DUAC) ने दस्तावेजों की कमी के कारण इस परियोजना को पूरा करने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया। 1 अगस्त को अपनी बैठक के दौरान DUAC ने केशव कुंज परियोजना (आरएसएस दफ्तर) को पूरा करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने के दिल्ली नगर निगम के प्रस्ताव पर विचार करते हुए पाया कि परियोजना समापन चरण में हैं। बैठक के अनुसार एनओसी इसलिए नहीं दी गई क्योंकि आवश्यक दस्तावेज पूरे नहीं किए गए थे। सूत्रों के मुताबिक आयोग को इमारत में कोई बड़ी दिक्कत नहीं मिली है।

जानें बैठक में क्या कहा गया

बैठक में कहा गया, “आयोग ने नोट किया कि परियोजना पूरी होने के चरण में है, लेकिन निर्मित स्ट्रक्चर (टॉवर -1 और टावर -2) की पर्याप्त अनकट तस्वीरों की कमी है। छत, आंतरिक सड़कों, भूदृश्य, साइनेज, मुख्य द्वार, चारदीवारी और भवन की कार्यक्षमता के लिए आवश्यक अन्य तत्वों सहित सभी तरफ से प्रत्येक टावर (टॉवर -1 और टावर -2) की स्पष्ट और अनकट वाली तस्वीरें दी जानी चाहिए। साइट पर पूरे किए गए वास्तविक कार्य को प्रमाणित करने के लिए उचित लेबलिंग के लिए ये चीजे चाहिए।”

डीयूएसी ने परियोजना के आर्किटेक्ट को मंजूरी के समय परियोजना के 3D व्यू और वर्तमान वास्तविक निर्मित निर्माण की साइड-बाय-साइड तस्वीरें देने के लिए कहा है। डीयूएसी ने साइट पर वास्तविक स्ट्रक्चर पर योजनाओं का एक सुपरइम्पोज्ड इमेज भी मांगा है।

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बैठक में आगे कहा गया, “स्ट्रक्चर (टावर 1 और 2 के लिए आंशिक समापन) पर प्राप्त प्रस्ताव में पर्याप्त दस्तावेज का अभाव है, जिसमें निर्मित निर्माण की सभी तरफ की अनकट तस्वीरें भी शामिल हैं। आर्किटेक्ट को सलाह दी जाती है कि वह आयोग द्वारा दी गई उपरोक्त सभी टिप्पणियों का पालन करें और बिंदुवार जवाब दे।”

यह एक प्रक्रिया- RSS सूत्र

हालांकि आरएसएस ने आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं दी है। लेकिन आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “यह भवन निर्माण में एक मानक प्रक्रिया है, जहां नियामक एजेंसियां ​​सवाल उठाती हैं और प्रासंगिक नियमों और विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिक्रियाएं प्रदान की जाती हैं।” डीयूएसी ने जुलाई 2015 में दो टावरों के लिए भवन योजना को मंजूरी दी थी और फिर जुलाई 2018 में संशोधित योजनाओं को मंजूरी दी थी। परियोजना को 30 मई, 2018 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी दी गई थी।