शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने आरएसएस नेता राम माधव की किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम दक्षिणपंथी ही नहीं बल्कि वामपंथी विचारों को भी सम्मान देते हैं है। हमारे यहां दोनों पक्षों के लिए जगह है।

आरएसएस नेता राम माधव द्वारा लिखी किताब द हिंदुत्व पाराडाइम के विमोचन कार्यक्रम पर वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि मैं संघ से हूं, हमने संघ के प्रशिक्षण शिविरों में कार्यकर्ताओं को कभी नहीं कहा कि हम दक्षिणपंथी हैं। हमारे कई विचार वामपंथी विचारों की तरह है। हमारे यहां बाएं और दाएं दोनों पक्षों के विचारों के लिए जगह है। क्योंकि ये एक मानवीय अनुभव है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में कोई पूर्ण विराम नहीं है। इसे बाएं या दाएं कहना वर्तमान भू-राजनीति के लिए उपयुक्त है। पश्चिम और पूर्व पूरी तरह से ऐसे नहीं हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हम दक्षिणपंथी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भौगोलिक या राजनीतिक विभाजन पूर्व और पश्चिम की तरह हैं जो उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के बाद धुंधले और मंद पड़ गए हैं।

इस दौरान आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने यह भी कहा कि दुनिया बाईं ओर चली गई थी या बाईं ओर जाने के लिए मजबूर किया गया था। लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि दुनिया दाईं ओर बढ़ रही है इसलिए यह केंद्र में है। यही हिंदुत्व है जो न तो लेफ्ट है और न ही राइट है। साथ ही उन्होंने भारतीय न्यायिक व्यवस्था को लेकर कहा कि ब्रिटिश उपनिवेश से लिया गया यह सिस्टम भारत के लिए प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के टिप्पणी का हवाला देते हुए भी कहा कि यह देश के लिए उपयुक्त नहीं है।

इसके अलावा आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबले ने किताब के शीर्षक में हिंदुत्व शब्द का उपयोग होने पर चुटकी लेते हुए कहा कि इसमें भी हिंदुत्व है। लेकिन लोग पहले इस शब्द का उपयोग करने से बचते थे। इस दौरान उन्होंने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा पुजारी बताते हुए कहा कि उन्होंने भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि वे भारतीय विरासत से संबंध रखते हैं जो तीर्थों से बंधी हुई है।