राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर बात की। मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया एकता पर चलती है, सौदों पर नहीं। मोहन भागवत ने स्वदेशी पहल की अपील भी की और सरकार को सलाह दी कि किसी के उकसावें में ना आए। उन्होंने कहा कि दबाव में व्यापार नहीं किया जाता।

समाज हमारे विचारों पर विश्वास करे या न करे, लेकिन विश्वसनीयता पर विश्वास करते हैं- मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “मीडिया में नकारात्मक खबरों की भरमार है लेकिन भारत में समाज आज की तुलना में 40 गुना बेहतर है। अगर कोई सिर्फ़ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर भारत का मूल्यांकन करेगा, तो वह गलत होगा। व्यक्ति का अहंकार शत्रुता को जन्म देता है। राष्ट्रों का अहंकार राष्ट्रों के बीच शत्रुता को जन्म देता है। उस अहंकार से परे हिंदुस्तान है। व्यक्तिगत जीवन से लेकर पर्यावरण तक का मार्ग दिखाने के लिए भारतीय समाज को अपना उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। आज आरएसएस इतनी अनुकूल स्थिति में है। ऐसा क्यों है? पूरा समाज इस पर विश्वास करता है, हमारे विचारों पर विश्वास करे या न करे, लेकिन वे हमारी विश्वसनीयता पर विश्वास करते हैं। इसीलिए जब हम कुछ कहते हैं, तो समाज हमारी बात सुनता है और इसीलिए हम 100 वर्ष पूरे कर रहे हैं।”

आरएसएस का अगला कदम

मोहन भागवत ने कहा कि हमारा अगला कदम क्या है? हमारा अगला कदम यह सुनिश्चित करना होगा कि आरएसएस में हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह पूरे समाज में लागू हो। उन्होंने कहा कि यह चरित्र निर्माण का कार्य है, देशभक्ति जगाने का कार्य है।

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धर्म में धर्मांतरण नहीं होता- संघ प्रमुख

धर्म को लेकर मोहन भागवत ने कहा, “धर्म में धर्मांतरण नहीं होता। धर्म एक सच्चा तत्व है, जिसके आधार पर सब कुछ चलता है। हमें धर्म के साथ आगे बढ़ना है, उपदेश या धर्मांतरण से नहीं, बल्कि उदाहरण और व्यवहार से। इसलिए भारतवर्ष का जीवन-लक्ष्य ऐसा जीवन जीना है, ऐसा आदर्श गढ़ना है जिसका विश्व अनुकरण कर सके। धर्म पूजा, भोजन आदि से परे है। धर्म के ऊपर जो धर्म है, वह विविधता को स्वीकार करता है। वह धर्म संतुलन सिखाता है।”

दुनिया में कट्टरता बढ़ी- आरएसएस चीफ

मोहन भागवत ने कहा, “प्रथम विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ का गठन हुआ। दूसरा विश्व युद्ध फिर भी हुआ। संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ। तीसरा विश्व युद्ध उस तरह नहीं होगा। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, यह हम आज नहीं कह सकते। दुनिया में अशांति है, संघर्ष हैं। कट्टरता बढ़ी है। जो लोग चाहते हैं कि जीवन में कोई शालीनता, कोई संस्कार न हो, वे इस कट्टरता का प्रचार करते हैं। जो भी हमारे विचारों के खिलाफ बोलेगा, हम उसे रद्द कर देंगे। नए शब्द जो आए हैं वोकिज्म आदि। यह बहुत बड़ा संकट है। यह सभी देशों पर है, अगली पीढ़ी पर है। सभी देशों के संरक्षक चिंतित हैं। बुजुर्ग चिंतित हैं। क्यों? क्योंकि कोई संबंध नहीं है।”

मोहन भागवत ने बताया हिंदुत्व क्या है?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “हिंदुत्व क्या है? हिंदूपन क्या है? हिंदू की विचारधारा क्या है? अगर संक्षेप में कहें तो दो शब्द हैं, सत्य और प्रेम। दुनिया एकता से चलती है, यह सौदों से नहीं चलती, यह अनुबंधों से नहीं चलती। हिंदू राष्ट्र का जीवन ध्येय क्या है? हमारा हिंदुस्तान, इसका उद्देश्य विश्व कल्याण है। विकास के क्रम में विश्व ने अपने भीतर खोजना बंद कर दिया। यदि हम अपने भीतर खोजें, तो हमें शाश्वत सुख का स्रोत मिलेगा जो कभी नष्ट नहीं होगा। इसे पाना ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है और इसी से सभी सुखी होंगे। सभी एक-दूसरे के साथ सद्भाव से रह सकेंगे। विश्व के संघर्ष समाप्त हो जाएँगे। विश्व में शांति और सुख होगा।”