आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को भारत को “विश्व गुरु” बनाने के लिए साथ आकर आगे बढ़ने का आह्वान किया और ‘कलयुग’ में संगठन की शक्ति पर जोर दिया। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में तीन दिवसीय घोष शिविर के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि भारत का धर्म सत्य है और देश ने दुनिया को सच्चाई का रास्ता दिखाया है। इस दौरान उन्होंने धर्मांतरण का भी जिक्र किया। 

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हमारा धर्म, जिसे लोग आज हिंदू धर्म कहते हैं, इसको दुनिया मेें प्रसार करने की जरूरत है’ और बिना धर्मांतरण की कोशिश किए ‘हमें एक ऐसा तरीका सिखाना है जो पूजा नहीं है, बल्कि जीने का एक तरीका है।’ मोहन भागवत का कहना था कि बिना धर्म को बदले भी लोगों को जीना सिखाया जा सकता है।

उन्होंने स्थानीय जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, ‘जो कमजोर हैं उनका ही शोषण किया जाता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि कमजोरी पाप है। शक्ति का मतलब होता है संगठित ढंग से जीना।’ भागवत ने आगे कहा, ‘अकेला व्यक्ति शक्तिशाली नहीं हो सकता। कलयुग में संगठन ही शक्ति है। हमें सबको साथ लेकर चलना चाहिए, हमें किसी को बदलने की जरूरत नहीं है।’ 

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे समाज में विविधता है। कई देवी-देवता हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। सबको साथ लेकर आगे चलना है। भागवत ने सत्य और धर्म का जिक्र करते हुए कहा कि जीत सच्चाई की ही होती है। झूठ कभी नहीं जीतता है। हमारे देश का धर्म सत्य है और सत्य ही धर्म है। भारत के लोगों को विश्व में इसलिए विशेष माना जाता है क्योंकि प्राचीन काल में हमारे संतों ने सत्य का अनुसरण किया था। 

मोहन भागवत ने आगे कहा कि इतिहास के पन्नों को पलटेंगे तो पता चलता है कि जब कोई (देश) ठोकर खाकर भटका और भ्रमित हुआ, तो वह अपना रास्ता तलाशने भारत ही आया। संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने दुनिया का भ्रमण किया और बिना किसी की पहचान बदलने की कोशिश किए गणित और आयुर्वेद जैसे ज्ञान और अवधारणाओं का प्रचार-प्रसार किया। भागवत ने कहा कि हम संपूर्ण दुनिया को कुटुम्ब मानने वाले लोग हैं।