राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि महात्मा गांधी को कभी स्वयं के हिंदू होने पर लज्जा नहीं हुई और उन्होंने अनेक बार अपने को कट्टर सनातनी हिंदू बताया था। भागवत ने यहां महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि गांधी जी ने इस बात को समझा था कि भारत का भाग्य बदलने के लिए पहले भारत को समझना पड़ेगा और इसके लिए वह साल भर भारत में घूमे। भागवत ने कहा कि इसके लिए उन्होंने (महात्मा गांधी ने) स्वयं को भारत के सामान्य जनों की आशा आकांक्षाओं से उनकी पीड़ाओं से एकरूप होकर यह सारा विचार किया और इस विचार की दृष्टि का मूल हर भारतीय था इसीलिए उनको (गांधी जी) अपने हिंदू होने की कभी लज्जा नहीं हुई।
भागवत ने कहा कि गांधी जी ने कई बार कहा था कि मैं कट्टर सनातनी हिंदू हूं और ये भी कहा कि कट्टर सनातनी हिंदू हूं, इसलिए पूजा पद्धति के भेद को मैं नहीं मानता हूं। इसलिए अपनी श्रद्धा पर पक्के रहो और दूसरों की श्रद्धा का सम्मान करो और मिलजुल कर रहो। शिक्षाविद जगमोहन सिंह राजपूत के जरिए लिखित पुस्तक ‘गांधी को समझने का यही समय’ के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि यह सही है कि गांधी के सपनों का भारत अभी नहीं बन पाया है।
उन्होंने कहा कि 20 साल पहले मैं कहता था कि गांधी जी की कल्पना का भारत अभी नहीं बन पाया है, आगे बन पाएगा या नहीं, पता नहीं। यह असंभव लगता था, लेकिन देश भर में घूमने के बाद मैं कह सकता हूं कि आज गांधी के सपनों का साकार होना प्रारंभ हो गया है और जिस नई पीढ़ी की आप चिंता कर रहे हैं वह नई पीढ़ी ही उन सपनों को पूरा करेगी।
नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने मगात्मा गांधी को कट्टर सनातनी हिंदू बताकर नई बहस छेड़ दी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को अपने को हिंदू होने पर गर्व था।