राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने पर दिल्ली में तीन दिवसीय कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए और उन्होंने संबोधन दिया। कार्यक्रम के तीसरे दिन यानी 28 अगस्त को मोहन भागवत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उनसे 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर भी सवाल पूछा गया।

मोहन भागवत ने स्पष्ट कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर होना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि जब तक कोई काम कर सके उसे काम करना चाहिए।

75 साल में रिटायरमेंट पर बोले मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी को रिटायर होना चाहिए। संघ में हमें काम दिया जाता है, चाहे हम चाहें या न चाहें। अगर मैं 80 साल का हूं और संघ कहता है कि जाओ और शाखा चलाओ, तो मुझे करना ही होगा। संघ जो भी कहता है, हम करते हैं। यह किसी की रिटायरमेंट के लिए नहीं है। हम रिटायर होने या काम करने के लिए तैयार हैं, जब तक संघ चाहता है।”

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बता दें कि कुछ समय पहले मोहन भागवत ने रिटायरमेंट को लेकर एक टिप्पणी की थी। इसके बाद कयासों का बाजार गर्म हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 17 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे। मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि किसी पारिवारिक व्यक्ति के आरएसएस प्रमुख बनने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन उस व्यक्ति को अपना पूरा समय संगठन को समर्पित करना चाहिए।

डेमोग्राफी पर बोले मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जनसांख्यिकीय असंतुलन के पीछे धर्मांतरण और अवैध प्रवास को प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। मोहन भागवत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है और इसमें किसी प्रकार का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “धर्मांतरण और अवैध प्रवास जनसांख्यिकीय असंतुलन के प्रमुख कारण हैं। हमें अवैध प्रवासियों को नौकरी नहीं देनी चाहिए। हमें मुसलमानों सहित अपने लोगों को नौकरी देनी चाहिए।”