हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) में पीएचडी के एक दलित छात्र की आत्महत्या के मामले को लेकर विवाद में घिरे कुलपति अप्पा राव पोडिले ने मुद्दे के ‘राजनीतिकरण’ के प्रयासों की बुधवार को निंदा की और कहा कि वे ‘भाजपा के आदमी’ नहीं है। राव ने कहा कि रोहित वेमुला और चार अन्य दलित छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किसी दबाव में नहीं की गई। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय या केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की ओर से कोई दबाव नहीं था। उन्होंने इस्तीफा देने से भी इनकार किया।

कुलपति ने कहा, ‘दुर्भाग्य से यह राजनीतिक खेल में तब्दील हो गया है। यहां तक कि नेता भी परिसर में आ रहे हैं। मैं नहीं जानता कि वे परिसर का राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं जो अपनी शैक्षिक गतिविधियों और शोध के लिए जाना जाता है। मैं सचमुच निराश और व्यथित हूं।’

घटना को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार देते हुए उन्होंने कहा कि विश्वद्यिालय ने संवैधानिक इकाई (कार्यकारी परिषद) की सिफारिशों पर आधारित खास नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया। विश्वविद्यालय ने उनके (छात्रों) खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक मानक अनुशासनात्मक तंत्र के अनुरूप काम किया। कुलपति ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के फैसलों से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और दो मंत्रियों स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘कोई दबाव नहीं था। हमने मिले पत्रों को सामान्य पत्रों के रूप में लिया। किसी भी मंत्री या मंत्रालय के किसी अधिकारी से कोई फोन कॉल नहीं आई।’

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने परिसर में ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ और एबीवीपी नेता सुशील कुमार पर ‘हिंसक हमले’ के संबंध में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय द्वारा की गई शिकायत के संदर्भ में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय को पांच पत्र लिखे थे। मंत्रालय ने उल्लेख किया है कि यह इस तरह के ‘वीआइपी संदर्भों’ पर मानक प्रक्रिया थी ।

कुलपति ने कहा कि शुरू में इन छात्रों को छह महीने के लिए निलंबित किया गया था, लेकिन सजा घटा दी गई क्योंकि इससे उनकी स्कॉलरशिप पर प्रतिकूल असर पड़ता। उन्होंने कहा, ‘इसलिए उनकी मदद करने के लिए उन्हें हॉस्टल निष्कासन की सजा दी गई क्योंकि वे वंचित तबके से हैं।’ राव ने कहा कि रोहित और चार अन्य के कथित हमले के शिकार हुए एबीवीपी नेता की मां मामले को हैदराबाद हाई कोर्ट ले गईं। हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। कुलपति ने कहा, ‘इस सबके दौरान, लड़के (रोहित) ने आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में इस सजा का कोई उल्लेख नहीं है।’

उन पर लगे ‘भाजपा का आदमी’ होने के आरोपों पर कुलपति ने कहा, ‘मैं छात्रों, राजनीतिक नेताओं या किसी अन्य द्वारा मुझ पर इस तरह का आरोप लगाए जाने की बात से सहमत नहीं हो सकता। मैं किसी भी पार्टी का आदमी नहीं हूं। मेरी नियुक्ति एक उचित चयन प्रक्रिया के तहत हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं किसी पार्टी से संबद्ध नहीं हूं। वे मुझे भाजपा का व्यक्ति करार देना चाहते हैं क्योंकि मेरी नियुक्ति राजग सरकार ने की थी। यह केवल एक संयोग है कि कुलपति की नियुक्ति राजग के कार्यकाल में हुई।’

राव ने छात्रों की इस्तीफे की मांग को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘उस स्थिति में बहुत से लोग गुस्सा होंगे क्योंकि संस्थान का प्रमुख होने की वजह से लोग मुझे जिम्मेदार मानते हैं। मैं इस्तीफा देने की योजना नहीं बना रहा हूं, यहां तक कि मेरे कार्यभार संभालने से पहले भी वहां मामला था।’