आजतक चैनल पर ‘दंगल’ शो में एंकर रोहित सरदाना ने जब बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी से पूछा कि जनता का कितना तेल निकालेंगे? जवाब में पलटवार करते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि विपक्षी दलों की सरकार भी जनता का तेल निकाल रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 90 रुपये लीटर पेट्रोल है वहीं मुंबई में 99 रुपये लीटर है। अगर केंद्र सरकार ही सबकुछ तय कर रही है तो देश के अलग-अलग शहरों में तेल के दाम अलग क्यों है?

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट ही एक मात्र प्रोडक्ट है जो जीएसटी के अंतर्गत नहीं हैं। यह जीएसटी के अतर्गत क्यों नहीं आया, इसका कारण है कि यह राज्यों के आय का सबसे बड़ा स्त्रोत है। अगर जीएसटी के अंदर ये भी आते तो 8-10 रुपये दाम जरूर कम हो गए होते। साथ ही उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2014 के बाद से पेट्रोलियम की कीमत को तय करने का अधिकार सरकार का खत्म हो गया। 2010 में ही पेट्रोल की कीमत तय करने का अधिकार खत्म हो गया था। 2014 में डीजल पर से भी ये अधिकार खत्म हो गया। इसकी शुरुआत 2002 में हुई थी।

जहां तक बात टैक्स की है तो लगभग 30 रुपये का टैक्स केंद्र सरकार का बनता है वहीं राज्यों का टैक्स 20-40 प्रतिशत तक बनता है। तो आप मान सकते हैं कि 30-30 प्रतिशत के तीन हिस्से हैं। चुनाव के कारण बंगाल सरकार ने टैक्स कम कर दिया। कोरोना संकट के दौर में राज्यों को इससे काफी दिक्कत होने वाली है।

जहां तक बात विश्व स्तर की है तो OPEC देशों ने अपना उत्पादन कम कर दिया है। अगले दो हफ्ते तक अभी उत्पादन और भी कम रहेगा। इसके कारण भी कीमते बढ़ रही है। जिसका असर राज्य और केंद्र दोनों पर ही पड़ रहा है। इसलिये यह कहना कि सिर्फ केंद्र सरकार का ही दोष है तो ये गलत है।

एकंर रोहित सरदाना ने कहा कि मैंने आप से बस ये सवाल किया था कि जनता का और कितना तेल निकालेंगे? लेकिन आप स्वयं ही रक्षात्मक हो गए कि इसमें राज्य सरकारों का भी दोष है। केंद्र का सिर्फ दोष नहीं है।